Thursday, June 16, 2022

अनादर और तिरस्कार क्यों ?

हम कुछ लोगों का अनादर और तिरस्कार क्यों करते हैं?
निंदा और डांट फटकार क्यों करते हैं?

क्या हम ये सोचते हैं कि हम उनसे बेहतर हैं ? उनसे ज़्यादा अच्छे हैं?  
क्या हमें अपने आप पर बहुत गर्व है ?
अपनी अक़्ल पर बहुत घमंड और ग़रुर है?

याद रखें कि हम कितने ही समझदार - प्रतिभावान और 
निपुण क्यों न हों - 
फिर भी कुछ लोग अवश्य ही हमसे आगे होंगे। 
और बेशक कुछ लोग हमसे पीछे भी होंगे। 
लेकिन सब हमारी तरह ही इंसान हैं। 
सभी में अपनी अपनी पृष्ठभूमि के अनुसार मन, बुद्धि और ज्ञान है  
सभी में एक समान चेतना और आत्मा है।
कोई भी दूसरों से ऊंचा या श्रेष्ठ नहीं है। 

वैसे भी हम सभी पथ पर हैं - 
अभी मार्ग में हैं। 
सभी अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की कोशिश कर रहे हैं।
सभी के सामने बाधाएँ भी हैं - किसी के लिए भी रास्ता सीधा और साफ नहीं होता। 
सब के मार्ग  में कई किस्म की रुकावटें आती हैं। 
सबके मन में कभी न कभी - कोई न कोई शंका ज़रुर उठती है। 
कोई न कोई हलचल - कोई उथल-पुथल बनी ही रहती है। 
हम सभी किसी न किसी पाश में बंधे हैं। 
सभी आकर्षण- विकर्षण, लोभ-प्रलोभन, राग-द्वेष, ईर्ष्या मोह और अहंकार इत्यादि के शिकार हैं। 

इसलिए, किसी का अनादर और तिरस्कार करने की बजाए विशाल हृदय और दयालु बनें। 
जहाँ तक हो सके - दूसरों की मदद करें।
सबके लिए हृदय में प्रेम और करुणा का भाव रखें।  

अपना ज्ञान सबके साथ सांझा करें। 
और जो आप जानते हैं वह दूसरों को भी समझाने और सिखाने की कोशिश करें
और अगर आप किसी को अपने से अधिक जानकार - ज्यादा उन्नत और विकसित पाते हैं -
तो उनसे कुछ सीखने की कोशिश करें।
याद रहे  - 
कि अगर इच्छा हो - अगर हम चाहें तो हर व्यक्ति से कुछ न कुछ सीख सकते हैं ।
                                                ' राजन सचदेव '

4 comments:

न समझे थे न समझेंगे Na samjhay thay Na samjhengay (Neither understood - Never will)

न समझे थे कभी जो - और कभी न समझेंगे  उनको बार बार समझाने से क्या फ़ायदा  समंदर तो खारा है - और खारा ही रहेगा  उसमें शक्कर मिलाने से क्या फ़ायद...