आजकल धनसुख भाई बढ़ते जा रहे हैं
और मनसुख भाई कम होते जा रहे हैं
शांतिलालजी का कहीं पता ही नहीं है
मांगीलालजी हर जगह घूमते रहते हैं
देवीलाल कहीं नज़र नहीं आते
ज्ञानचंद हर शहर - हर गली में रहते हैं
रायचन्द भी हर नुक्क्ड़ पर मिल जाते हैं
लेकिन धीरज चंद और आभारी लाल जी कहीं नहीं मिलते
कृतज्ञ नंदन भी कहीं खो गए हैं
स्वर्ण लाल ,चाँदी राम और रुपा मल्ल को सब ढूंढ रहे हैं
हीरा लाल और पन्ना लाल की दूकान पर लाइनें लगी हैं
लेकिन दीनदयाल जी और सुखकर नाथ के पास कोई नहीं आता
Bahut khoob. Sahi kaha aap ne
ReplyDeleteYehi hal hai aaj sansar ka.
Wah, very we explained
ReplyDeleteWah ji Wah uncle ji
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