Wednesday, June 8, 2022

वक़ार ख़ुद नहीं बनता - बनाया जाता है

ख़ुद अपने ख़ून में पहले नहाया जाता है 
वक़ार ख़ुद नहीं बनता बनाया जाता है 

कभी कभी जो परिंदे भी अन-सुना कर दें 
तो हाल दिल का शजर को सुनाया जाता है 

हमारी प्यास को ज़ंजीर बाँधी जाती है 
तुम्हारे वास्ते दरिया बहाया जाता है 

नवाज़ता है वो जब भी अज़ीज़ों को अपने 
तो सब से बा'द में हम को बुलाया जाता है 

हमीं तलाश के देते हैं रास्ता सब को 
हमीं को बा'द में रस्ता दिखाया जाता है 
                      "  वरुन आनन्द "

वक़ार      =   सम्मान, प्रतिष्ठा, आदर, इज़्ज़त 
शजर       =  पेड़, वृक्ष, दरख़्त 

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When the mind is clear

When the mind is clear, there are no questions. But ... When the mind is troubled, there are no answers.  When the mind is clear, questions ...