ग़रीब लहरों पे पहरे बिठाए जाते हैं
समन्दरों की तलाशी कोई नहीं लेता
– वसीम बरेलवी -
हमेशा उन्हीं पर नजर रखी जाती है जो ग़रीब, कमजोर और असहाय हैं।
उनकी हर बात की जांच की जाती है - उनके हर काम को परखा जाता है
उनकी हर बात को उछाला जाता है और हर बात के लिए उन्हें ही दोषी ठहराया जाता है।
अमीर और ताकतवर लोगों से कोई सवाल नहीं करता।
कोई भी अमीर और राजनीतिक तौर से शक्तिशाली लोगों के कार्यों को चुनौती नहीं देता
उनकी जांच करने के लिए नहीं कहता।
वे कुछ भी कहने और करने के लिए स्वतंत्र हैं।
अत्यंत अपराधजनक बातें कह कर भी वे आज़ादी से घूमते हैं - कोई उन्हें छूने की हिम्मत नहीं करता।
हमेशा कमज़ोर लोगों को ही दबाया जाता है।
सामाजिक और राजनीतिक तौर पर कमज़ोर और असंगठित लोग हमेशा दूसरों द्वारा शासित और नियंत्रित रहते हैं।
यहां तक कि उन्हें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार से भी वंचित कर दिया जाता है।
अपनी बात कहने का अधिकार भी उनसे छीन लिया जाता है।
उनकी हर बात और गतिविधियों पर निगरानी रखी जाती है।
उन पर हर प्रकार के प्रतिबंध लगा दिए जाते हैं।
जबकि समृद्ध व्यक्ति अपनी सामाजिक और राजनीतिक शक्ति की वजह से बड़े से बड़ा अपराध करने के बावजूद भी अछूते ही रहते हैं।
ये चंद शक्तिशाली लोग बाकी सब को दबा कर आज़ादी से घूमते और मनमानी करते रहते हैं।
अर्थात लहरें कैद और प्रतिबंधित हैं - सीमित और निषिद्ध हैं ।
और शक्तिशाली सागर की जांच करने की हिम्मत कोई नहीं करता।
Absolutely Right 🌿
ReplyDeleteWah
ReplyDeleteIt’s so true, and particularly today it can be seen so clearly in India & all over the world.
ReplyDeleteYes, Santo the world is like this. 🙏🙏
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