ज्ञान और विनम्रता - विद्या एवं विनयम्
जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए दोनों ही महत्वपूर्ण हैं।
एक कार मैकेनिक को कार ठीक करने के लिए उस के पुर्ज़ों और उनकी कार्यप्रणाली का ज्ञान होना ज़रुरी है
और अगर उसका व्यवहार भी अच्छा होगा तो उसके पास ज़्यादा ग्राहक आएँगे ।
अध्यापकों, शिक्षकों और गुरुओं को अपने विषय का ज्ञान होना ज़रुरी है
और उनकी विनम्रता शिष्यों में उनके प्रति श्रद्धा पैदा करती है।
नेताओं को अपने अनुयायियों का नेतृत्व करने के लिए दूरदृष्टि की आवश्यकता है
और उनका रवैय्या और व्यवहार भी अच्छा हो तो अधिक लोग उनके अनुयायी बन जाते हैं और उनके साथ रहते हैं।
विद्या अथवा विनयम् ?
किस को चुना जाए?
ज्ञान या विनम्रता - इन दोनों में से एक को चुनने का सवाल नहीं है।
जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए दोनों का ही महत्व है।
लेकिन अगर हमारे पास पर्याप्त ज्ञान नहीं है -
तो विनम्रता हमारे मन में और जानने की इच्छा जगाएगी -
और ज़्यादा ज्ञान प्राप्त करने के लिए प्रयास करने की प्रेरणा देगी -
और ज्ञानी एवं जानकार लोग प्रसन्नता से हमें सिखाने के लिए तैयार भी हों जाएंगे।
दूसरी ओर विनम्रता के बिना ज्ञान हमें अभिमानी और उद्दंड -
अशिष्ट और अभद्र भी बना सकता है -
जो धीरे धीरे लोगों को हमसे दूर कर देगा।
इसलिए जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए ज्ञान और विनम्रता -
दोनों में से एक को नहीं - बल्कि दोनों को ही चुनना और अपनाना ज़रुरी है।
' राजन सचदेव '
सही बात है गुरुजी। और ज्ञान प्राप्त करते रहें तो विनम्रता ख़ुद-ब-ख़ुद आ जाती है जब यह ज्ञात होता है कि जो कुछ भी हम जानते है वो समंदर में क़तरे के बराबर है। जैसा की मीर ने कहा है -
ReplyDeleteयही जाना कि कुछ न जाना हाए
सो भी इक उम्र में हुआ मालूम
प्रियल
Bahut he sunder bachan ji.🙏
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