Friday, June 3, 2022

इक तू ही तू नज़र आया है

जहाने-ग़म से तंग आकर इधर देखा उधर देखा 
तो बस तू ही तू आया है नज़र  मैंने  जिधर देखा 

हुआ है जिस्म ये जिस वक़्त देखो  रुह से ख़ाली
न उस को फिर किसी ने भी कभी है आँख भर देखा
 
जिसे देखो ज़माने में  वो दौलत का है  दीवाना 
हर इक क़िस्से के पीछे ये ही राज़-ए-मुख़्तसर देखा 

बहुत मिल जाएंगे हमराह ज़िंदगी में तो 'राजन ' 
मगर कोई नहीं है आख़री दम हमसफ़र, देखा 
                                          " राजन सचदेव "
                             ~~~~~~~~~ 

जहाने-ग़म       =   दुःख पूर्ण संसार  - दुख से भरी दुनिया 
उस जानिब      =    उस तरफ 
हर इक क़िस्से के पीछे ये ही राज़-ए-मुख़्तसर देखा 
संक्षेप में कहें तो हर कहानी अथवा हर काम के पीछे यही राज़ है  - अर्थात हर कोई दौलत का ही दीवाना है 
हमराह              =   साथी 
आख़री दम        =   अंतिम समय में 

7 comments:

न समझे थे न समझेंगे Na samjhay thay Na samjhengay (Neither understood - Never will)

न समझे थे कभी जो - और कभी न समझेंगे  उनको बार बार समझाने से क्या फ़ायदा  समंदर तो खारा है - और खारा ही रहेगा  उसमें शक्कर मिलाने से क्या फ़ायद...