Saturday, May 7, 2022

मोहब्बत हो तो जाती है - मोहब्बत की नहीं जाती

  किसी से मेरी मंज़िल का पता पाया नहीं जाता 
  जहाँ मैं हूँ फ़रिश्तों का वहाँ साया नहीं जाता 

  फ़क़ीरी में भी मुझको माँगने में शर्म आती है 
  सवाली हो के मुझसे हाथ फैलाया नहीं जाता 

  मेरे टूटे हुए पा-ए-तलब का मुझपे अहसाँ है 
  तुम्हारे दर से उठके मुझसे अब जाया नहीं जाता 

  हर इक दाग़े-तमन्ना को कलेजे से लगाता हूँ 
  कि घरआई हुई दौलत को ठुकराया नहीं जाता 

  मोहब्बत हो तो जाती है - मोहब्बत की नहीं जाती 
 ये शोला ख़ुद भड़क उठता है- भड़काया नहीं जाता 

  मोहब्बत के लिए कुछ ख़ास दिल मख़सूस होते हैं 
  ये वो नग़मा है  जो हर साज़ पे गाया नहीं जाता 

  मोहब्बत असल में 'मख़मूर' वो राज़े हक़ीक़त है 
  समझ में आ गया है और समझाया नहीं जाता 
                           ' मख़मूर देहलवी ' 

टूटे हुए पा-ए-तलब = तलाश में थके हारे - टूटे पैर
दाग़े-तमन्ना = दुख, शोक, व्यथा, विषाद,मलाल,यातना,अफ़सोस, निराशा 

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When the mind is clear

When the mind is clear, there are no questions. But ... When the mind is troubled, there are no answers.  When the mind is clear, questions ...