भरी सराय ‘रहीम’ लखि, पथिक आप फिर जाय॥
~ अब्दुल रहीम खानखाना ~
शब्दार्थ :
जिन आँखों में प्रियतम की सुन्दर छवि बसी हो -
वहां किसी दूसरी छवि को कैसे जगह मिल सकती है?
भरी हुई सराय को देखकर पथिक स्वयं ही वहां से लौट जाता है।
भावार्थ :
भरी हुई सराय को देखकर पथिक स्वयं ही वहां से लौट जाता है।
भावार्थ :
जिसने अपने मन-मन्दिर में प्रभु को पूरी तरह बसा लिया
वहां से मोहिनी माया अपने रहने की जगह न पाकर उल्टे पांव लौट जाती है।
वहां से मोहिनी माया अपने रहने की जगह न पाकर उल्टे पांव लौट जाती है।
अर्थात जिस के मन में प्रभु बसे हैं -
जिस का मन प्रभु प्रेम से भरा है -
उस के मन में तो संसार की मोह-माया के लिए कोई जगह ही नहीं बचती।
Beautiful lines
ReplyDeleteBahoot hee khoobsurat ji.🙏
ReplyDeleteBAHUT HI SUNDER BLOCG MERE SAHIBJI
ReplyDeleteAtti uttam !
ReplyDeleteखूबसुरत ❤
ReplyDeleteपर फिर भी मोह माया पीछा नही छोड़ती. पर यह ईश्वर हमेशा साथ देता है और बचाये रखता है. और आप जैसे संतो का संग तार देता है, दृढता बनाये रखता है. 🙏🙏🙏🙏
ReplyDelete🙏
ReplyDeleteBeautiful couplet with deep spiritual connotations
ReplyDeletePriyal