वो चुपके चुपके आहिस्ता से दिल में आए जाते हैं
वो बन के आसमां हस्ती पे मेरी छाए जाते हैं
न शब्दों की उसूलों की न रस्मों की ज़रुरत है
सुमन श्रद्धा के तो हिरदे से ही पहनाए जाते हैं
फ़क़त बातों से ही तो बात बन सकती नहीं यारो
चमन जीवन के तो किरदार से महकाए जाते हैं
सुनी औरों से जो बातें वही दुहराए जाते हैं
जो बातें ख़ुद नहीं समझे वही समझाए जाते हैं
वो राधा कृष्ण के नि:स्वार्थ निश्छल प्रेम के किस्से
ज़माने भर में देखो आज भी दुहराए जाते हैं
वो यूँ तो हम से मिलने का कभी वादा नहीं करते
मगर ख्वाबों में अक्सर ही वो देखो आए जाते हैं
तफ़रक़े घर के दुनिया भर को बतलाए नहीं जाते
ये मसले बैठ के आपस में ही सुलझाए जाते हैं
किसी के दिल में मांगे से जगह मिलती नहीं 'राजन '
दिलों में तो मोहब्बत ही से घर बनवाए जाते हैं
'राजन सचदेव '
फ़क़त -- सिर्फ़, केवल Just, Only
तफ़रक़े - मतभेद, वाद-विवाद, Differences, Disputes
Too good Rajan jee.. 3rd and 4th para applies to me correctly
ReplyDeleteRegards. Ashok Chaudhary
Bohot badhiya ghazal. Dono Matle achche hai.
ReplyDelete-Priyal
Wah ji Wah uncle ji,
ReplyDeleteEach word of every line describing life in depth.
Thanks for sharing your wisdom it s always ray of hope for me
Beautiful points
ReplyDeleteYash Raheja
Bahut Khoob ji🙏
ReplyDeleteNice Mahatma Ji nice 🙏🏻🙏🙏🏻🙏🌺🌷🍁💐
ReplyDelete.Bahut HI SHUNDER H ..VEER JI ATI SUNDEŔ👌👌👌👌
ReplyDelete__/|__ बहुत ही सुन्दर रचना है जी हुजूर...
ReplyDeleteआपजी की ग़ज़ल के शेर(7th) पढ़ते ही अनायास ही वसीम बरेलवी साहब का शेर ध्यान में आ गया जी...
मोहब्बत के ये आँसू हैं उन्हें आँखों में रहने दो,
शरीफ़ों के घरों का मसअला बाहर नहीं जाता।
https://www.rekhta.org/ghazals/vo-mere-ghar-nahiin-aataa-main-us-ke-ghar-nahiin-jaataa-waseem-barelvi-ghazals?lang=hi
धन निरंकार जी
Thank you Deepak ji and Thankls for sharing Vaseem Bareavi sahib's sher - he is great - a very high class poet of course.
Deleteदिल में तो मुहबत से ही घर बनाए जाते हैं.......कृपा करो यह समझ आ जाए.
ReplyDeleteWahji 🙏🏻
ReplyDeleteWah! 👏
ReplyDeleteBeautiful.🙏
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