वक़्त मौसम की तरह होता है
समय अच्छा हो या बुरा - दोनों गुज़र जाते हैं
न केवल गुजर जाते हैं -
बल्कि ऋतुओं की तरह -
मौसम की तरह बार बार आते जाते रहते हैं
जो यह जान लेता है - इस तथ्य को समझ लेता है -
वह व्यग्र - बेचैन और व्याकुल नहीं होता।
इस जहां और उस जहां के दरमियां - फ़ासला यारो है बस इक सांस का ये अगर चलती रहे तो ये जहां ---- और अगर रुक जाए तो फिर वो जहां Is jahaan aur us...
No comments:
Post a Comment