Monday, March 11, 2024

मेंहदी की लालिमा दिखाई नहीं देती

मेंहदी के पत्ते में लाली - लालिमा छुपी होती है 
मगर हमें दिखाई नहीं देती। 
लेकिन जब उसे भिगो कर सही ढंग से हाथ पर लगाया जाए तो उसकी लालिमा प्रकट हो कर स्पष्ट रुप से हाथ पर दिखाई देने लगती है। 
और फिर जल्दी उतरती भी नहीं है। 

इसी तरह सर्व व्यापक ईश्वर - परमात्मा भी हमें दिखाई नहीं देता - 
क्योंकि वह निराकार है - रुप रंग आकार से परे है। 
वह भौतिक आँखों से नज़र नहीं आ सकता। बाहरी आँख से दिखाई नहीं दे सकता। 
केवल सही ज्ञान - उचित अभ्यास और सुमिरन एवं प्रेमा भक्ति के माध्यम से ही हृदय में प्रकट हो सकता है - 
और जिसको उसकी लाली चढ़ जाए तो फिर जल्दी उतरती नहीं है। 
एक बार जब वह हृदय में प्रकट हो जाए - दिल और दिमाग पर छा जाए - तो उसका रंग - उसका प्रेम और  प्रभाव कभी फीका नहीं पड़ता।
                लाली मेरे लाल की जित देखूं तित लाल 
                लाली देखन मैं गयो - मैं भी हो गयो लाल 
                                            " राजन सचदेव "


3 comments:

Na vo vaqt raha na main (Neither that time nor I...)

           Na vo shauq rahay - Na vo zid rahi             Na vo vaqt raha - Na vo main raha                            ~~~~~~~~~~~~~ Neither...