Tuesday, March 26, 2024

वो बुलबुला जो सर उठा के चला

हवा वही - वही क़तरा  - समंदर भी वही है
जो सर उठा के चला था वो बुलबुला नहीं रहा


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न समझे थे न समझेंगे Na samjhay thay Na samjhengay (Neither understood - Never will)

न समझे थे कभी जो - और कभी न समझेंगे  उनको बार बार समझाने से क्या फ़ायदा  समंदर तो खारा है - और खारा ही रहेगा  उसमें शक्कर मिलाने से क्या फ़ायद...