कभी नाकामियों का डर कभी रुसवाई का डर था
कभी पुर-जश्न महफिलों में भी तन्हाई का डर था
कभी माज़ी की रंजिशें कभी अफ़कार-ए-मुस्तकबिल (भविष्य की चिंता)
कभी दिल के पुराने ज़ख़्म की आराई का डर था
कभी बे-रोज़गारी का - कभी ग़ुर्बत का अंदेशा
कभी जीवन की जद्दोजहद में पस्पाई का डर था (हार जाने का डर)
कभी कुछ तल्ख़ी-ए-हालात से भी रंज था दिल में
कभी हमदर्द हमसायों की बेवफ़ाई का डर था
कभी दिल में ख़्याल आता था उनसे हाल-ए-दिल कह दें
कभी खोली न पर ज़ुबां कि ना-रसाई का डर था (पहुँच से बाहर)
कभी हसरत थी कोई ले चले मंज़िल तलक हमको
कभी नादान राहनुमा की रहनुमाई का डर था
कभी हमतर्ज़-ओ-हमजुबां भी हमराही न बन पाए
कभी अनजान राहबरों की भी अगुवाई का डर था
कभी ज़ुल्म-ओ-सितम की अंजुमन-आराई का डर था
कभी मक्कार मसीहों की मसीहाई का डर था
कभी ग़ैरों की नामा'क़ूल कार्रवाई का डर था
कभी अपनों की बेरुखी औ बेहयाई का डर था
कभी सब के लिए ही दिल के दरवाज़े खुले रखे
कभी जिरह-पसंदों की भी आवा-जाई का डर था
कभी बचपन के संगी साथियों से बिछड़ने का डर
कभी अपने जिगर के लाल से जुदाई का डर था
कभी हसरत थी कोई पासबां हो - निगहबान हो
कभी दिल में रिफ़ाक़त, क़ुर्ब-ओ-आशनाई का डर था
(प्रेम,नज़दीकत,दोस्ती)
कभी क़ुर्बत में रह के भी न मिट पाई थीं दूरियां
कभी शाम-ए-फ़िराक़ औ' तर्के-आशनाई का डर था
कभी ये शौक़ था हमराह कोई हमनवा भी हो
कभी हमराह चलती अपनी ही परछाई का डर था
कभी दिल में उमंग उठती थी जलवे देख के उनके
कभी चश्म-ए-हैराँ की ना-तवाँ बीनाई का डर था (कमज़ोर दृष्टि)
कभी बेख़ौफ़ राह-ए-मा'रिफत पे भी न चल पाए (अध्यात्म की राह पे)
कभी दीवानगी का डर - कभी दानाई का डर था
कभी सुनते थे जिन खोजा तिन्हीं पाया मगर 'राजन '
कभी उतरे न सागर में - हमें गहराई का डर था
" राजन सचदेव "
रुसवाई = बदनामी
माज़ी = भूतकाल - बीता हुआ वक़्त, गुज़रा वक़्त
रंजिशें = वैमनस्य मनमुटाव नाराज़गी, अप्रसन्नता निराशाएं
अफ़कार = फ़िक्र का बहुवचन, चिंताएं
मुस्तकबिल = भविष्य, आने वाला समय
अफ़कार-ए-मुस्तकबिल = भविष्य की चिंता
ज़ख़्म की आराई = ज़ख्मों का फिर से चमक उठना
ग़ुर्बत = ग़रीबी
अंदेशा = ख़तरा, विचार, चिंता, चिंताग्रस्तता, सोच, तरद्दुद
जिद्दोजहद = संघर्ष, दौड़धूप, कठिन परिश्रम
पस्पाई = हार Defeat
तल्ख़ी-ए-हालात = कठिन समय, मुश्किल वक़्त, हालात की कड़वाहट
रसाई = पहुँच
ना-रसाई = ना पहुँच - पहुँच न होना, जिस तक पहुँच न हो, पहुँच से बाहर - Inaccessible, Unapprochable
हमतर्ज़ = एक ही तरह की तर्ज़ या सोच वाले
हमजुबां = एक ही भाषा या बोली बोलने वाले - एक जैसे विचार वाले
हमराह = साथ चलने वाले (मित्र)
राहबर = रास्ता दिखाने वाला - पथ प्रदर्शक
अंजुमन-आराई = सभा की सजावट - सजी हुई सभा
कारवाई = कोई काम करना Action
जिरह-पसंद = जिन्हें बहस करना पसंद हो
पासबां = संरक्षक
निगहबान = अपनी नज़र में रखने वाला संरक्षक
रिफ़ाक़त = प्रेम,दोस्ती, मित्रता
क़ुर्ब = निकटता, समीपता, नज़दीकत, नज़दीकी
आशनाई = परिचय - संबंध
क़ुर्बत = नज़दीक
आशनाई = दोस्ती,प्रेम,मित्रता
शाम-ए-फ़िराक़ = विरह की, वियोग की शाम
तर्के-आशनाई = प्रेम-विच्छेद - सम्बन्ध-विच्छेद, दोस्ती टूट जाना
हमराह = साथी, साथ चलने वाला (मित्र)
हमनवा = साथी, दोस्त, मित्र, एक सी राय - एक से विचारों वाले लोग
चश्म-ए-हैराँ = आश्चर्यचकित - हैरत अंगेज़ आँखें, आश्चर्यचकित ऑंखें , प्रभावित
ना-तवां = कमज़ोर
बीनाई = नज़र - दृष्टि Vision
बेख़ौफ़ = भय रहित - डर के बग़ैर
राह-ए-मा'रिफत = आध्यात्मिक पथ - आध्यात्मिकता की राह
दीवानगी = दीवानापन - बिना सोचे समझे - अँधा प्रेम, अंध विश्वास, अंध-भक्ति
दानाई = चातुर्य, बुद्धिमत्ता, समझ बूझ, अक़्लमंदी, बसीरत, चतुराई
Wah! So well said . We all have been there but you put those feelings in words . 👌🏼
ReplyDeleteReality of life
ReplyDelete🙏Bahut hee sunder bhav wali Rachana ji .🙏
ReplyDeleteBeautiful poem 🙏🙏
ReplyDeleteSo So beautiful poem
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