Monday, July 29, 2024

कट ही जाएगा सफ़र आहिस्ता आहिस्ता

कट ही जाएगा सफ़र आहिस्ता आहिस्ता
मंज़िलें होती हैं सर आहिस्ता आहिस्ता 

जल्दबाज़ी में बिगड़ जाते हैं काम अक़्सर 
बीज बनता है शजर आहिस्ता आहिस्ता 
                   (शजर = पेड़  Tree)

सब्र कर ऐ दिल  - न हो बेसब्र इस क़दर
आएगी फिर से सहर आहिस्ता आहिस्ता 
                 (सहर  =  सुबह )

सौ घड़े पानी अभी देने से क्या हासिल 
पेड़ देता है समर आहिस्ता आहिस्ता 
               (समर = फल  Fruit) 

कर्म करना धर्म है - तू कर्म करता चल 
फल मिलेगा वक़्त पर आहिस्ता आहिस्ता

कर दुआ 'राजन' - दुआएँ रंग लाती हैं  
हाँ - मगर होगा असर आहिस्ता आहिस्ता 
                      " राजन सचदेव "


सर होना  =  जीतना - प्राप्त करना  
शजर       =   पेड़   Tree
सहर        =  भोर,  सुबह Dawn
समर       =   फल  Fruit

18 comments:

  1. बहुत ही बेमिसाल ज़िंदगी जीने के फलसफे हैं 🙏🌹💐

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  2. Bahut Khub !🙂
    Anil Gambhir

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  3. ❤️❤️❤️❤️🙏🏻🙏🏻🙏🏻

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    1. मेहेंगी कलम से निकला है ये , कमाल का कलाम........ 🖋️ Just Superb

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  4. Wonderful thought for life to b accepted 🙏❤️

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  5. Very useful all of us DHAN nirankar ji

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  6. Bhaut khoob 🙏🏿

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  7. Well said lines.🙏
    Beautiful ji.🌹

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  8. Excellent, Bahut hee sunder aur shikhshadayak bhav wali Rachana ji,🙏
    Jaidev

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  9. Bahut sunder ji❤️❤️❤️

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  10. हम भी सीखेंगे आहिस्ता आहिस्ता🙏

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