घर से ज़रा निकल कर देखो
(रमेश जोशी )
दुनिया इतनी बुरी नहीं है जितनी हम समझते हैं।
अपने घर से बाहर निकल कर - अपने कम्फर्ट जोन से बाहर निकल कर खुले दिमाग से देखेंगे तो संसार में बहुत सी अच्छाई भी देखने को मिलेगी।
हम पाएंगे कि संसार में बहुत से अच्छे और पवित्र ह्रदय - दयालु, ईमानदार और सच्चे लोग हैं - जो धर्म, जाति, पंथ या नस्ल का लेबल लगाए बिना दूसरों की मदद करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं।
इंसान होने का अर्थ है सज्जनता - उदारता - भद्रता एवं दयालुता।
दयालुता किसी धर्म विशेष अथवा समुदाय की संपत्ति नहीं है -
यह मानव स्वभाव का एक अंग है।
इसलिए वेदों ने उद्घोषणा की:
मनुर्भव
अर्थात मनुष्य बनो।
क्योंकि मनुष्यता - मानवता ही सर्वोच्च धर्म है।
' राजन सचदेव '
Dhan Nirankar.
ReplyDeleteVery True. 🙏🙏🙏
🙏🙏
ReplyDeleteCharan vandan aap ji ki adyatmik shakti ko, jo dass k liye hamesha ek prerna ka srot rahi.
ReplyDeleteThank you dear Sahib JI
DeleteBAHUT HI SUNDER BHAV HAIN MERE HZOOR
ReplyDeleteसही कहा आपने ��
ReplyDeletewell said
ReplyDeleteWell said
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