Friday, August 6, 2021

सत्संग का उद्देश्य - सत्संगत्वे नि:संगत्वं

सत्संगत्वे नि:संगत्वं - नि:संगत्वे निर्मोहत्वम्
निर्मोहत्वे निश्चलतत्वं - निश्चलतत्वे जीवन मुक्तिः
                                          आदि शंकरचार्य


जीवन-मुक्ति प्राप्त करने के लिए किन किन पड़ावों से गुजरना पड़ता है, ये समझाते हुए आदि शंकरचार्य कहते हैं कि पहला पड़ाव है सत्संग।
सत्य का ज्ञान प्राप्त करने के लिए - अर्थात सत्य को जानने - और फिर ज्ञान को परिपक्वता से जीवन में धारण करने के लिए सत्संग अर्थात सत्य एवं सत्पुरुषों का संग आवश्यक है।
सत्संग करते करते - संतों की संगत में रहते रहते भक्त अंततः नि:संगत्व अर्थात संगविहीन हो जाता है - भ्रम एवं व्यर्थ के विचारों और अनावश्यक और अत्यधिक सांसारिक इच्छाओं - आशा, मंशा,अपेक्षा और तृष्णा इत्यादि के संग से मुक्त हो जाता है।

नि:संगत्वं होने का एक अर्थ निर्विचार अथवा विचार रहित मनःस्थिति से भी है
जिसे मन से परे या मन से स्वतंत्र होना भी कहा जा सकता है।

नि:संगत्वं अथवा निर्विचार एवं अनावश्यक इच्छाओं से मुक्त होते ही मन से मिथ्या मोह का भी नाश हो जाता है और भक्त निर्मोहत्व की अवस्था प्राप्त कर लेता है। संसार एवं सांसारिक पदार्थों से अनावश्यक मोह से रहित - आशा, मंशा,अपेक्षा और तृष्णा इत्यादि वासनाओं से मुक्त जीव - गलत मान्यताओं, धारणाओं और कर्म-कांड में भ्रमित न हो कर सत्य मार्ग पर चलते हुए अपने वांछित गंतव्य की ओर बढ़ता रहता है।

उपरोक्त मनःस्थिति को प्राप्त करके जीव निश्चल-तत्व में स्थित हो जाता है।
निष्चल-तत्व अर्थात अपरिवर्तनीय सत्य को जान कर सदैव इस एकमात्र सार्वभौमिक परम सत्य में विचरण करता हुआ निश्चल मन जीवन-मुक्त हो जाता है।
स्वतंत्र,अथवा किसी भी बंधन से मुक्त होना ही मुक्ति अथवा मोक्ष है।
जब तक हम किसी वस्तु-विशेष, व्यक्ति-विशेष या किसी विशेष विचारधारा अथवा परिस्थिति से बंधे हुए हैं तो मुक्ति संभव नहीं है।
'अपरिवर्तनीय सत्य ' को जान कर - निष्चल तत्व अर्थात निराकार प्रभु में स्थित हो कर मन का निश्चल हो जाना ही जीवन-मुक्ति कहलाता है।
                                                                  ' राजन सचदेव '

4 comments:

  1. Parvinder Pal SinghAugust 7, 2021 at 10:45 AM

    अशेषविशेषणशुन्य उपाधिरहित निरंकार ।
    Perceived at one stroke as whole .
    Oneness .

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  2. Dhan Nirankar.
    What appeared to be so hard explained with such ease by Sadguru. Amazing. We will forever be grateful 🙏🙏🙏🙏🙏

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  3. Dhan nirankar ji.bhut bhut shukrana malik

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ये दुनिया - Ye Duniya - This world

कहने को तो ये दुनिया अपनों का मेला है पर ध्यान से देखोगे तो हर कोई अकेला है      ~~~~~~~~~~~~~~~~~~ Kehnay ko to ye duniya apnon ka mela hai...