Tuesday, August 24, 2021

दुनिया इतनी बुरी नहीं है

दुनिया इतनी बुरी नहीं है
घर से ज़रा निकल कर देखो 
                             (रमेश जोशी )

दुनिया इतनी बुरी नहीं है जितनी हम समझते हैं।
अपने घर से बाहर निकल कर - अपने कम्फर्ट जोन से बाहर निकल कर खुले दिमाग से देखेंगे तो संसार में बहुत सी अच्छाई भी देखने को मिलेगी। 
हम पाएंगे कि संसार में बहुत से अच्छे और पवित्र ह्रदय - दयालु, ईमानदार और सच्चे लोग हैं - जो धर्म, जाति, पंथ या नस्ल का लेबल लगाए बिना दूसरों की मदद करने के लिए  हमेशा तैयार रहते हैं।
इंसान होने का अर्थ है सज्जनता - उदारता - भद्रता एवं दयालुता। 
दयालुता किसी धर्म विशेष अथवा समुदाय की संपत्ति नहीं है - 
यह मानव स्वभाव का एक अंग है।
इसलिए वेदों ने उद्घोषणा की:
मनुर्भव  
अर्थात मनुष्य बनो।
क्योंकि मनुष्यता - मानवता ही सर्वोच्च धर्म है।
                                      ' राजन सचदेव '

8 comments:

स्वयं को बदलो Transform yourself

किसी के वास्ते राहें कहाँ बदलती हैं  तुम अपने आप को ख़ुद ही बदल सको तो चलो                      " निदा फ़ाज़ली " Kisi kay vaastay ra...