Wednesday, August 25, 2021

मारिया आंद्रेजिक - एक ओलंपिक खिलाड़ी जिसने अपना रजत पदक बेच दिया

हम सब लोग अक़्सर निस्वार्थ सेवा की बात करते हैं। 
बड़े बड़े लोग अक़्सर अपने भाषणों में निस्वार्थ सेवा करने की प्रेरणा भी देते रहते हैं।
लेकिन कभी-कभी, कुछ ऐसे लोग भी देखने को मिल जाते हैं - जो बातें करने और भाषण देने की बजाय चुपके से निस्वार्थ भाव से सेवा कर जाते हैं।
ऐसी ही एक कहानी पिछले कुछ दिनों में सामने आई है।

टोकियो ओलंपिक में भाग लेने वाली पोलैंड की एक खिलाड़ी मारिया मैग्डेलीना आंद्रेजिक के लिए ओलंपिक में जीते गए रजत पदक से ज्यादा महत्वपूर्ण बात कुछ और थी - जो उसके लिए रजत पदक से भी ज़्यादा मायने रखती थी।
उस ने एक अजनबी दम्पत्ति की सहायता करने के लिए - उनके आठ महीने के बच्चे की हार्ट सर्जरी के लिए पैसे का प्रबंध करने के लिए ओलम्पिक में जीता हुआ अपना रजत पदक नीलाम करने का फैसला किया।

उन्हें दुःख और दर्द का व्यक्तिगत अनुभव है
कुछ अरसा पहले वह स्वयं बोन कैंसर (bone cancer) की शिकार रह चुकी हैं।
इसलिए उन्होने स्वयं दर्द और कष्ट का प्रत्यक्ष अनुभव किया है।
टोकियो ओलंपिक के कुछ ही दिनों बाद मारिया आंद्रेजिक ने यह घोषणा कर दी कि वह अपना रजत पदक बेच कर सारे पैसे उस आठ महीने के बच्चे मिलोस्ज़ेक मलीसा के ऑपरेशन के लिए दे देगी।

वैसे तो हम सभी जीवन के उतार-चढ़ाव से गुजरते ही रहते हैं।
हम सब ने कभी न कभी अपने जीवन में कुछ न कुछ दर्द और पीड़ा का अनुभव किया है।
लेकिन हममें से कितने लोग हैं जो वास्तव में दूसरों के दर्द को सही मायने में समझते और महसूस करते हैं?
हममें से कितने लोग हैं जो दूसरों की मदद करने के लिए किसी ऐसी चीज़ का त्याग करने को तैयार हैं जिसे हासिल करने के लिए हमने सालों साल कड़ी मेहनत की हो?
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मारिया 2016 के ओलंपिक में महज दो सेंटीमीटर के अंतर से ही पीछे रह गई थी और कोई पदक न ले पाईं।
लेकिन फिर से कई वर्षों की कठिन मेहनत के बाद इस बार वह रजत पदक जीतने में सफल हो गयीं।
मगर जीत की ख़ुशी - उत्तेजना और हर्षोउल्हास के बावजूद मारिया ने अपनी जीत का प्रतीक - जीवन में मिला हुआ एकमात्र ओलंपिक पदक बेचने का फैसला कर लिया - एक अजनबी की मदद करने के लिए।

एक अनुदान संचय समूह (Fundraiser page) के अनुसार, वह आठ महीने का बच्चा एक home hospice की देखरेख में है और उसे अमेरिका में ले जाकर तत्काल ऑपरेशन करने की आवश्यकता है।
मारिया ने कहा - मिलोस्ज़ेक मलिसा की सहायता के लिए शुरुआत तो पहले हो ही चुकी है।
इसी तरह का एक बच्चा और था - लेकिन Fundraiser की सहायता से इकट्ठा किया हुआ धन समय पर न मिलने के कारण उसका इलाज़ न हो पाया और वह बच्चा चल बसा।
उस बच्चे के माँ बाप ने सहायता के लिए मिली हुई सारी धनराशि वापिस कर दी ताकि वह किसी और ज़रुरतमंद के काम आ सके।

मारिया ने कहा कि वह भी इसी तरह से किसी ज़रुरतमंद की मदद करना चाहती हैं।
इसलिए उस ने कई बाधाओं और कठिन परिश्रम से जीता हुआ वह रजत पदक - जो उसके निजी संघर्ष, विश्वास और सपनों का प्रतीक है - एक अनजान बच्चे की जान बचाने के लिए बेचने का फैसला कर लिया।

नीलामी के दौरान Poland की एक convenience store chain - Zabka (जॉबका) से एक लाख पच्चीस हज़ार डॉलर की उच्चतम बोली प्राप्त हुई - मारीया ने इसे स्वीकार करके यह राशि स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर में उस बच्चे की सर्जरी के लिए भेजने का निर्देश दिया।
मैडिकल सेंटर में धनराशि भेजने का बाद ज़ाबका ने वो पदक भी मारिया एंड्रेज़िक को वापस कर दिया -
यह कहकर कि - "हम अपने ओलंपिक खिलाड़ी के नेक भाव और दयालुता से अत्यंत प्रभावित हुए हैं और हमने ये फैसला किया है कि टोकियो ओलंपिक्स में जीता हुआ यह रजत पदक मारिया के पास ही रहेगा - जिन्होंने यह दिखा दिया है कि वह केवल खेलों में ही नहीं - बल्कि इंसानियत के तौर पर भी कितनी महान हैं।"

मारिया की निस्वार्थ सेवा भावना की प्रशंसा में - ज़ाबका द्वारा उठाया गया क़दम भी निस्वार्थ-भाव का ही एक और अनुकरणीय उदाहरण है।
                                          ' राजन सचदेव '
                     (इंटरनेट से एकत्रित की गई जानकारी पर आधारित।)

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