टूटे से फिर जुड़े नहीं - जुड़े तो गांठ पड़ जाय
अर्थ :
बड़ा ही नाजुक है प्रेम का यह धागा।
इसे तोड़ो मत!
इसे टूटने न देना।
एक बार टूट गया तो फिर जुड़ेगा नहीं
और अगर जोड़ भी लिया तो गांठ तो पड़ ही जाएगी।
'Rehman' dhaaga prem kaa - mat todo chatkaaye
Tootay say phir juday nahin - juday to gaanth pad jaaye
~Abdul Raheem Khankhana "Raheem" ~
'Rehman' dhaaga prem kaa - mat todo chatkaaye
Tootay say phir juday nahin - juday to gaanth pad jaaye
The string or cord of love is very subtle and delicate
Do not let it break.
Do not break it by pulling it hard or pushing with too many undue expectations - ego, arrogance or negligence, and carelessness.
Once broken, it may not join again -
and even if it does, a knot will always be there (in the relationship)
Very very true sir ji !
ReplyDeleteDhan Nirankar ji
ReplyDeleteभले ही दास तो पूज्य नागपाल जी को मिशन के काबिल अधिकारी के रूप में जनता था, परंतु उनका नजदीकी प्रेम पाने का मौका तब बना, जब 2013 के दिसंबर माह में अचानक मुझे फोन आया। पहली बार उनका फोन सुन कर डर सा लगा, परंतु जल्दी ही पहचान के बाद उन्होंने दास को कहा कि "मैं तो आपको जनता नहीं हूं, पर आप को बाबा जी याद कर रहे हैं, आप 1 जनवरी2014 को पूज्य राजमाता जी के जन्म दिन पर आ जाना"।
इसे अपनी खुशनसीबी और सतगुरु की दया समझ कर दास एक जनवरी 2014 को दिल्ली चला गया, जब सतगुरु बाबा हरदेव सिंह जी महाराज ने दास को जोनल इंचार्ज उधमपुर की सेवा बख्शी। उसके बाद अक्सर उनसे मिलना होता रहा। कटरा का भवन बनना था। आप आए और दास के घर भी चरण डाले, बहुत आशीर्वाद दिए। एक दिन कटरा भवन में मिस्त्री महापुर्ष से धागा टूट गया। उसने गांठ बांध कर जोड़ भी लिया, परंतु पूज्य नागपाल जी ने उसे समझाया, यह धागे संगतों की माया से आते हैं, इनको तोड़ने से गुरु की माया का नुकसान होता है। बेशक जोड़ भी दिया, परंतु गांठ तो पड़ ही गई। ऐसे गुरु की माया के प्रति सजग थे वोह। किसी से कोई तहफा सेवा में नहीं लेते थे।
कुशल प्रबंधक, नेक गुरसिख, सादे भक्त, अनथक सेवादार थे।सतगुरु कृपा करें दास भी उनके गुणों को अपने जीवन में धारण कर पाए।
दास बी पी सिंह कठुआ।