ये सदी हमको कहाँ ले जाएगी
तीरगी हमको कहाँ ले जाएगी
पूछती हैं मछलियों से मछलियां
ये नदी हमको कहाँ ले जाएगी
जुगनुओं के जिस्म से निकली हुई
रोशनी हमको कहाँ ले जाएगी
" सुरेंद्र शास्त्री "
तीरगी = अंधेरा
अंधे चश्मदीद गवाह - बहरे सुनें दलील झूठों का है दबदबा - सच्चे होत ज़लील Andhay chashmdeed gavaah - Behray sunen daleel Jhoothon ka hai dabdab...
Naa samjhe to yahi bhatkayegi!
ReplyDelete🙏🙏🙏
ReplyDelete