मुरझाए फूलों को फिर खिलते नहीं देखा
दिल के ज़ख़्मों को कभी भरते नहीं देखा
टूट जाता है अगर डाली से कोई फूल
फिर उसे उस शाख पे लगते नहीं देखा
जो चला जाता है इस दुनिया को छोड़ कर
फिर उसे आकर कभी मिलते नहीं देखा
मिट गए सारे सिकंदर और पयाम-बर
काम दुनिया का मगर रुकते नहीं देखा *
धर्म और ईमान जिन का पुख़्ता है उन्हें
चंद पैसों के लिए गिरते नहीं देखा
इक मुसाफ़िर के लिए 'राजन' कभी हमने
क़ाफ़िले को राह में रुकते नहीं देखा
क़ाफ़िले को राह में रुकते नहीं देखा
" राजन सचदेव "
सिकंदर = सिकंदर जैसे सभी शक्तिशाली एवं महान राजे महाराजे
पयाम-बर = ख़ुदा / ईश्वर का पैगाम देने वाले
* = सिकंदर जैसे कितने ही शक्तिशाली एवं महान राजे महाराजे आए और चले गए
कितने ही पयाम बर - ख़ुदा का पैग़ाम लाने वाले - ईश्वरीय अर्थात धर्म का संदेश देने वाले भी संसार से चले गए
लेकिन कभी दुनिया का कोई भी काम नहीं रुका
संसार वैसे ही चलता रहा - और चलता रहेगा
कच दी मंडी च सच दा ग्राहक कोई कोई
ReplyDeleteBeautiful words💐
ReplyDelete🙏🙏🙏
ReplyDeleteSundrrrr🙏🙏
ReplyDeleteबहुत सटीक सच्चाई है जी।
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद महात्मा बचित्र पाल जी 🙏🙏
Deleteचलती रहे जिंदगी 🌼🙏
ReplyDeleteBahut hee Uttam aur sunder bhav wali Rachana ji .🙏
ReplyDeleteExcellent thoughts in the poetry 🙏🌹
ReplyDeleteBeautiful Poem with beautiful message 🙏🙏
ReplyDeleteBeautiful 👌👌🙏🙏
ReplyDeleteBeautifully put words and feelings 🙏🙏
ReplyDeleteBeautiful 🙏🙏
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