Wednesday, February 28, 2024

राम स्यों कर प्रीत

रे मन राम स्यों कर प्रीत 
श्रवण गोविंद गुण सुनो अरु गाओ रसना गीत ||१ रहाउ || 
करि साध-संगत, सिमर माधो होहै पतित पुनीत 
काल-ब्याल जिओ परियो डोले मुख पसारे मीत  
आजकल फुनि तोहि ग्रसिहै समझ राखउ चीत 
कहे 'नानक' राम भज ले जात अउसर बीत
                          (गुरु तेग बहादुर जी)
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

हे मेरे मन, राम* अर्थात सर्वव्यापक सर्वशक्तिमान प्रभु से प्रेम करो - उसकी आराधना करो -
कानों से गोविन्द - अर्थात सृष्टि के रचयिता की गौरवशाली स्तुति सुनो, और जिह्वा से उसके गीत गाओ।
साध संगत करो - संतों की पवित्र संगति में रहो और माधव अर्थात प्रिय प्रभु  का सुमिरन करो जिस से पतित एवं पापी भी पवित्र हो जाते हैं।
हे मित्र - काल रुपी सर्प - अर्थात मौत मुंह पसार कर आस पास ही घूम रही है।
आज या कल, यह तुम्हें भी ग्रस लेगी - निगल लेगी। 
(इस तथ्य को अच्छी तरह समझ कर हमेशा अपने चित्त में याद रखो। 
नानक कहते हैं - राम नाम का भजन - ध्यान और जाप करते रहो 
समय बीतता जा रहा है - कहीं ये अवसर हाथ से निकल न जाए ! 
(इसलिए देरी न करें।) 
           ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

* रमन्ते इति रामः - जो हर जगह रमा हुआ है - सर्वव्यापक है वही राम है 
गोविन्द = गो +विन्द 
गो अर्थात पृथ्वी अथवा सृष्टि +विन्द अर्थात कारण या रचयिता
गोविन्द     =    सृष्टि का कारण या रचयिता 
माधो                = मधु के समान मीठा प्रभु  
रसना               =  जिह्वा, जीभ 
काल-ब्याल      =  काल रुपी सर्प 
अउसर            =  अवसर, समय, वक़्त 

5 comments:

  1. Very important message from Pavitar Gurbani 🙏🏿

    ReplyDelete
  2. Thank you Rajanjee for such a beautiful explanation of this nice Shabad. You had taught me to sing this a few years ago 🙏

    ReplyDelete

Jo Bhajay Hari ko Sada जो भजे हरि को सदा सोई परम पद पाएगा

जो भजे हरि को सदा सोई परम पद पाएगा  Jo Bhajay Hari ko Sada Soyi Param Pad Payega