Sunday, February 11, 2024

कृतज्ञता का भाव

कहा जाता है कि सुखी और शांतिपूर्ण जीवन जीने के लिए -- 
हमें अपने मन में कृतज्ञता का भाव विकसित करना चाहिए।

कृतज्ञता दो प्रकार की होती है। 

पहली - जो कुछ हमारे पास है - हमें उसके लिए आभारी होना चाहिए - 
जैसे कि एक स्वस्थ शरीर, रहने के लिए घर, एक सहयोगी परिवार, अच्छी नौकरी या व्यवसाय, - 
परिवहन के लिए वाहन, कुछ सौहार्दपूर्ण मित्र एवं सार्थक संबंध, स्नेहमयी स्वजन एवं रिश्तेदार इत्यादि इत्यादि। 

दूसरा - जो हमारे पास नहीं है हमें उसके लिए भी आभार प्रकट करना चाहिए - 
अर्थात जो हमें नहीं मिला - 
जैसे कि कोई लाइलाज बीमारी, क़र्ज़ों का बोझ, पर्याप्त भोजन की कमी और भुखमरी , टूटे बिखरे रिश्ते आदि।

हमें याद रखना चाहिए कि बहुत से लोगों के पास उतना भी नहीं है जितना हमारे पास है।
सर्वप्रथम तो मनुष्य के रुप में जन्म लेना ही एक सौभाग्य है और फिर शरीर का स्वस्थ होना तो जैसे सोने पर सुहागा है। 
इसलिए हमें हमेशा आभारी और शुक्रगुज़ार होना चाहिए कि हम स्वस्थ हैं और किसी भी भयानक बीमारी से मुक्त हैं - 
हम भाग्यशाली हैं कि हम उन बुरी स्थितियों और दुर्भाग्य से बचे हुए हैं जिनसे हमारे आसपास के कितने ही लोग प्रभावित हैं।

पहले तो जो कुछ हमारे पास है उसके लिए आभारी रहें -
और फिर उन प्रतिकूलताओं और चुनौतियों के लिए भी आभारी रहें जो हमारे सामने नहीं हैं।
                                       " राजन सचदेव "

7 comments:

  1. Jo Prapat hai
    Wo hi paryapat hai!!
    So always pray for well-being of everyone!

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  2. 🙏Absolutely beautiful .Bahut hee Uttam aur sundar bhav ji.🙏

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  3. Very nicely written Rajanjee 🙏

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Jo Bhajay Hari ko Sada जो भजे हरि को सदा सोई परम पद पाएगा

जो भजे हरि को सदा सोई परम पद पाएगा  Jo Bhajay Hari ko Sada Soyi Param Pad Payega