Thursday, March 9, 2023

माया मोहिनी - सब का मन हर लेती है


                      1
माया मोहिनी - सब का मन हर लेती है 
बड़े बड़ों को अपने वश कर लेती है 

चंचल मन इसके रंग में रंग जाते हैं 
दानिशमंद भी कब इस से बच पाते हैं 

माया से बनते हैं सारे  रिश्ते नाते
माया में उलझे सब रोते हँसते गाते

राजा रंक फ़क़ीर सभी को ये भरमाए 
साधु संत भी माया-जाल से बच न पाए 

मंदिर हो - या मस्जिद हो - या गुरद्वारा 
जिस को देखो माया का ही खेल है सारा

धर्म, सियासत बिज़नेस हर जा इसने घेरी  
सारी दुनिया देखो  माया की  है चेरी 
                      2 
रब से लेकिन जिस ने नाता जोड़ लिया 
विषय विकारों से जिसने मुंह मोड़ लिया 

काम क्रोध और लोभ पे जिसका अंकुश है  
न मत्सर न मोह - राग न रंजिश है 

आशा मंशा तृष्णा जिसने त्यागी है 
प्रभु प्रेम की लिव जिसके मन लागी है 

जिसके मान का भांडा 'राजन फूट गया 
माया के बंधन से वो जन छूट गया 
             " राजन सचदेव "

8 comments:

  1. 🙏Bahut Bahut hee uttam rachna ji.🙏

    ReplyDelete
  2. Wah. Bahut khoob

    ReplyDelete
  3. माया vakai vichitr hai . Ar iss se bachne ka jo sadhan aap ji ne bataya vo to kamal hai ji

    ReplyDelete
  4. Bahut bahut hee beautiful rachna ji
    Maya se bachne ka sadhan be btaya hi ji🌹🌹👌👌

    ReplyDelete
  5. Very nice composition - Rajan sahib ji .
    It is very true explaining
    about “ Maya Mohini “

    ReplyDelete

दर्पण के सामने - भगवान कृष्ण

एक बार, भगवान कृष्ण आईने के सामने खड़े थे अपने बालों और पोशाक को ठीक कर रहे थे। वह अपने सिर पर विभिन्न मुकुटों को सजा कर देख रहे थे और कई सु...