'फ़िराक़' इस गर्दिश-ए-अय्याम से कब काम निकला है
सहर होने को भी हम रात कट जाना समझते हैं
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समय और परिस्थितियों के बदलने से भी कहां संतुष्टि होती है?
सुबह होने को - सूर्योदय को एक नई शुरुआत - नई आशाओं और उत्साह से देखने की बजाए हम सोचते है कि चलो शुकर है - रात कट गई।
हर सुबह एक नई उमंग, एक नई तरंग ले कर आती है
नई आशाएं - नया उत्साह लेकर आती है
हर सुबह हमें कुछ नया सोचने और करने का अवसर देती है - ताकि हम अपने ज्ञान को और आगे बढ़ा सकें -
अपनी सोच और किरदार को और ऊंचा उठा सकें।
हर सुबह हमें अपने जीवन को बेहतर बनाने की नई संभावनाएं प्रदान करती है -
कुछ नया सीखने और करने का एक और मौका देती है।
इसलिए हर नए दिन को केवल एक अन्य सामान्य दिन के रुप में न देखें जिसे किसी तरह से गुजारना ही है ।
बल्कि हर नई सुबह का जोश और उत्साह के साथ स्वागत करें।
नोट:
अनुवाद में प्रस्तुत विचार मेरे निजी विचार हैं - और हो सकता है कि ये शायर की मूल भावनाओं को प्रतिबिंबित न करें।
Ignorance of a man!
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