यूं तो हज़ारों नाम हैं पर आदि-शक्ति एक है
बेशक अलग हैं रास्ते मंज़िल सभी की एक है
अंदाज़ बेशक हैं जुदा - माबूद सब का एक है
सब में उसी का नूर है बर्क़-ए-तजल्ली एक है
ये सरहदें ये दायरे - तख़लीक़ हैं इंसान की
गो एक है धरती सभी की आसमां भी एक है
हैं रुप रंग-ओ-सूरतें 'राजन' जुदा सब की मगर
सबका लहू है एक सा फ़ितरत सभी की एक है
" राजन सचदेव "
माबूद = इष्ट, इबादत का केंद्र - जिसकी पूजा अर्चना ध्यान इबादत की जाए
बर्क़-ए-तजल्ली = प्रकाश का स्रोत, उद्गम, उत्पत्ति, रौशनी का मूल आधार वजह कारण
तख़लीक़ = निर्माण, रचना, निर्मित, बनाई हुई
फ़ितरत = स्वभाव, प्रकृति, मिज़ाज
लहू = रक्त, ख़ून
V v v nice matma ji nice
ReplyDeleteAbsolutely beautiful and true🙏
ReplyDeleteअति सुंदर
ReplyDeleteExcellent. Very Very nice Rachna ji. 🙏
ReplyDeleteJaidev
Excellent 👌
ReplyDeleteSunder khyal
ReplyDeleteDhan Nirankar ji!So wonderful ji 🙏🏻🙏🏻
ReplyDeleteExcellent 🌹🌹👌👌
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteVery Nice 👍🙏 jk
ReplyDeleteWow!
ReplyDeleteEk se aaya hai
Ek mein hi jaayega
Phir Ek mein samayega
🙏
ReplyDeleteWaah Waah
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