Friday, March 31, 2023

मंज़िल सभी की एक है

यूं तो हज़ारों नाम हैं पर आदि-शक्ति एक है          
बेशक अलग हैं रास्ते मंज़िल सभी की एक है 

अंदाज़ बेशक हैं जुदा - माबूद सब का एक है 
सब में उसी का नूर है बर्क़-ए-तजल्ली एक है 

ये सरहदें ये दायरे -  तख़लीक़ हैं इंसान की 
गो एक है धरती सभी की आसमां भी एक है 

हैं रुप रंग-ओ-सूरतें 'राजन' जुदा सब की मगर 
सबका लहू है एक सा फ़ितरत सभी की एक है 
                             " राजन सचदेव " 

माबूद          =  इष्ट, इबादत का केंद्र - जिसकी पूजा अर्चना ध्यान इबादत की जाए 
बर्क़-ए-तजल्ली    =  प्रकाश का स्रोत, उद्गम, उत्पत्ति, रौशनी का मूल आधार वजह कारण
तख़लीक़     =  निर्माण, रचना, निर्मित, बनाई हुई 
फ़ितरत       = स्वभाव, प्रकृति, मिज़ाज 
लहू             =  रक्त, ख़ून 

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Jio Supna aru Pekhanaa

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