मोहब्बत के गुलिस्तां पर तो ख़ारों की हक़ूमत है
जहां में अम्ल के बदले में नारों की हक़ूमत है
ज़रा सोचो मरीज़ों को भला क्योंकर शफ़ा होगी
शफ़ाख़ाने पे जब 'साक़ी 'बीमारों की हक़ूमत है
" पूर्ण प्रकाश साक़ी "
ख़ार = काँटे
अम्ल = कर्म
शफ़ा = इलाज़
शफ़ाख़ाने = हस्पताल
Excellent. Bahut hee sunder ji.🪷
ReplyDeleteZabrdast 👌🙏🏿
ReplyDeleteBeautiful ji💐🙏
ReplyDeleteBitter TRUTH
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