Monday, December 12, 2022

कबीर बानी - माया मुई न मन मुआ

                         माया मुई न मन मुआ मरि-मरि गए सरीर ।
                         आशा तृष्णा न मुई कहि गए संत कबीर ॥

संत कबीर जी फ़रमाते हैं कि शरीर तो मर जाते हैं लेकिन मन नहीं मरता और न ही माया मरती है ।
माया का मोह बना ही रहता है।
माया बहुत शक्तिशाली है जो जीव को अपने वश में कर लेती है।
मनुष्य का जीवन समाप्त हो जाता है लेकिन आशा और तृष्णा अंत तक बनी रहती है।
अपने साथी और संबंधियों को संसार से खाली हाथ जाते हुए देख कर भी इंसान तृष्णा और लालच का त्याग नहीं कर पाता 
और अंतिम समय तक अधिक से अधिक धन और शक्ति इकट्ठी करने में लगा रहता है।
युगों युगों से यही सिलसिला चलता आ रहा है।

                         कबीर सो धन संचिये, जो आगैं कूं होइ।
                         सीस चढ़ावें पोटली, ले जात न देख्या कोइ॥

लेकिन आज तक किसी ने भी किसी को धन की पोटली बाँध कर सर पर रख कर या बैग में भर कर ले जाते हुए नहीं देखा। 
सब यहीं रह जाता है।

इसलिए कबीर जी फ़रमाते हैं कि ऐसा धन इकट्ठा करो जो आगे भी काम आए। 
इन्सान के अच्छे कर्म उसके जाने के बाद भी संसार में याद किए जाते हैं और परलोक अथवा अगले जन्म में भी काम आते हैं।
मन में नम्रता और सबके लिए प्रेम और आदर का भाव रहे -
किसी के भी प्रति दुर्भावना न हो - किसी को भी दुःख और कष्ट देने का भाव न हो।
जहां तक हो सके शुभ कर्म और सब का भला ही किया जाए।
और हर समय यही कोशिश रहे कि हमारे मन, वचन और कर्म से किसी को भी कष्ट न पहुंचे।
                                                 " राजन सचदेव "

4 comments:

  1. "Facts of life to live in real sense" Aptly explained while quoting Bhakt Kabir.

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  2. Bahut hee sunder ji. Yahee hee gursikhi hai.🙏

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  3. बहुत ही सुंदर 👌

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  4. Extremely Right uncle ji, But when we or someone talk about God or good deeds people's react like it's okay to talk about God
    But let's concentrate on work.
    In Hindi Chhdo ji Kam ki beat karte hai!

    Don't which is Kam di gal

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