Thursday, December 1, 2022

जला दें गर चिराग़ों को

खिलौने हैं सभी मिट्टी के आख़िर टूट जाते हैं 
समय आने पे सब अपने बेगाने छूट जाते हैं 

बहुत मुश्किल है 'राजन हर किसी को साथ रख पाना 
चिराग़ों को जलाते ही  अँधेरे रुठ  जाते हैं 
                               " राजन सचदेव "

13 comments:

  1. अंधेरों का रूठ जाना मायने नहीं रखता ग़र अंधेरे सृजनात्मक हैसियत ना रखते अँधेरों की भी अहमियत है ग़र अँधेरे ना होते तो कायनात भी कहां होती

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    1. Thank you ji - It's nice to see that some people think so deeply and post their valuable comments. Thanks again.

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    2. धन्यवाद जी - यह देखकर बहुत अच्छा लगता है कि आप इतनी गहराई से सोचते हैं और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियाँ पोस्ट भी करते हैं। एक बार फिर से आपका धन्यवाद।

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  2. Andera maan mai ho to nukhsan hi deta hai

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  3. Bahut Khoob ji!
    🙏

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  4. Beautiful imagery of light and darkness

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  5. 🙏Bahut hee sunder ji🙏

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  6. Very true💞💞🙏🏻

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  7. Nice mahatma ji🙏🙏🌺

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  8. Absolutely right mahapurso ji🙏💐

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  9. बहुत खूब, बहुत खूब!!🙏🏼

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  10. Beautiful 👌🌹🌹🌹🙏🏿

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