खिलौने हैं सभी मिट्टी के आख़िर टूट जाते हैं
समय आने पे सब अपने बेगाने छूट जाते हैं
बहुत मुश्किल है 'राजन हर किसी को साथ रख पाना
चिराग़ों को जलाते ही अँधेरे रुठ जाते हैं
" राजन सचदेव "
एक बार, भगवान कृष्ण आईने के सामने खड़े थे अपने बालों और पोशाक को ठीक कर रहे थे। वह अपने सिर पर विभिन्न मुकुटों को सजा कर देख रहे थे और कई सु...
अंधेरों का रूठ जाना मायने नहीं रखता ग़र अंधेरे सृजनात्मक हैसियत ना रखते अँधेरों की भी अहमियत है ग़र अँधेरे ना होते तो कायनात भी कहां होती
ReplyDeleteThank you ji - It's nice to see that some people think so deeply and post their valuable comments. Thanks again.
Deleteधन्यवाद जी - यह देखकर बहुत अच्छा लगता है कि आप इतनी गहराई से सोचते हैं और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियाँ पोस्ट भी करते हैं। एक बार फिर से आपका धन्यवाद।
DeleteAndera maan mai ho to nukhsan hi deta hai
ReplyDeleteBahut Khoob ji!
ReplyDelete🙏
Beautiful imagery of light and darkness
ReplyDelete🙏Bahut hee sunder ji🙏
ReplyDeleteVery true💞💞🙏🏻
ReplyDeleteNice mahatma ji🙏🙏🌺
ReplyDeleteAbsolutely right mahapurso ji🙏💐
ReplyDeleteबहुत खूब, बहुत खूब!!🙏🏼
ReplyDelete🙏🙏
ReplyDeleteBeautiful 👌🌹🌹🌹🙏🏿
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