Thursday, December 22, 2022

जो लोग जान बूझ के नादान बन गए

जो लोग जान बूझ के नादान बन गए 
मेरा ख़्याल है कि वो इंसान बन गए 

हम हश्र में गए थे मगर कुछ न पूछिए 
वो जान बूझ कर वहां अनजान बन गए 

मंझधार तक तो पहुंचना हिम्मत की बात थी 
साहिल के आस पास ही तूफ़ान बन गए 

इंसानियत की बात तो इतनी है शेख़ जी 
बदक़िस्मती से आप भी इंसान बन गए 

कांटे थे चंद दामने-फ़ितरत में ऐ  'अदम "
कुछ फूल - और कुछ मेरे अरमान बन गए 
                                       "अदम "

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कौन सी रात आख़िरी होगी ? Which Night will be the Last one?

न जाने कौन सी बात आख़िरी होगी  न जाने कौन सी रात आख़िरी होगी  मिलते जुलते बात करते रहा करो यारो  न जाने कौन सी मुलाक़ात आख़िरी होगी             ...