एक ऐसा साल - जो किसी के लिए तो असाधारण - बहुत अच्छा और सुखद रहा होगा।
और किसी के लिए ज़्यादा अच्छा नहीं - या शायद दुखद भी रहा हो -
और बहुतों के लिए बस एक और साधारण - औसत वर्ष रहा होगा ।
साल आते हैं और चले जाते हैं -
कौन जानता है कि हम एक और साल देखने के लिए जीवित रहेंगे भी या नहीं।
लेकिन महत्वपूर्ण बात तो केवल इतनी है कि हम अपना जीवन - रोज़मर्रा की ज़िंदगी किस तरह से जीते हैं।
जैसे कहा जाता है कि :
जीवन को आपके द्वारा ली जाने वाली सांसों की गिनती से नहीं -
बल्कि उन क्षणों से मापा जाता है जो आपकी सांस को रोक लेते हैं- जो आपको रोमांचित कर देते हैं ।'
इसलिए जीवन पूर्ण रुप से जिएं। जीवन के हर पल को संजोएं।
अपने सम्बन्धियों, मित्रों, निकट और प्रियजनों को बिना किसी शर्त और कारण से प्रेम दें - उनकी मदद करें।
छोटी छोटी बातों को दीवार न बनने दें।
इसलिए जीवन पूर्ण रुप से जिएं। जीवन के हर पल को संजोएं।
अपने सम्बन्धियों, मित्रों, निकट और प्रियजनों को बिना किसी शर्त और कारण से प्रेम दें - उनकी मदद करें।
छोटी छोटी बातों को दीवार न बनने दें।
भूलने और क्षमा करने की आदत डालें।
अगर किसी ने आपके साथ कुछ गलत या बुरा किया हो तो उन्हें क्षमा कर दें।
और जितना भी किसी का भला कर सकते हैं वो करें।
और कोशिश करें कि जानबूझकर किसी के मन को चोट न पहुंचे।
लेकिन इसके साथ ही अपना भी ख्याल रखें।
हर रोज़ कुछ ऐसा करें जो आपको अच्छा लगता है - जो आपको पसंद है।
अपने चारों ओर अच्छाई और खुशियां फैलाएं।
और याद रखें -
आपके सुख और आपकी खुशी के लिए कोई और नहीं बल्कि आप स्वयं ही जिम्मेदार हैं।
दूसरे क्या कहते या करते हैं - इससे उत्तेजित न हों - परेशान न हों।
क्योंकि आपकी मर्ज़ी के बिना कोई भी आपके मन की शांति को भंग नहीं कर सकता।
इसलिए अपने मन को नियंत्रित रखें - पक्का रखें - और दृढ रहें।
ध्यान और सुमिरन के लिए समय निकालें -
जो मिला है उसके लिए हर समय निरंकार प्रभु का धन्यवाद करते रहें।
और साथ ही - अपने मित्रों एवं सहयोगियों का धन्यवाद करना भी न भूलें
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुख भागभवेत।
सभी प्रसन्न रहें, सभी स्वस्थ रहें,
सबका भला हो, किसी को भी कोई दुख ना रहे।
" राजन सचदेव "
अगर किसी ने आपके साथ कुछ गलत या बुरा किया हो तो उन्हें क्षमा कर दें।
और जितना भी किसी का भला कर सकते हैं वो करें।
और कोशिश करें कि जानबूझकर किसी के मन को चोट न पहुंचे।
लेकिन इसके साथ ही अपना भी ख्याल रखें।
हर रोज़ कुछ ऐसा करें जो आपको अच्छा लगता है - जो आपको पसंद है।
अपने चारों ओर अच्छाई और खुशियां फैलाएं।
और याद रखें -
आपके सुख और आपकी खुशी के लिए कोई और नहीं बल्कि आप स्वयं ही जिम्मेदार हैं।
दूसरे क्या कहते या करते हैं - इससे उत्तेजित न हों - परेशान न हों।
क्योंकि आपकी मर्ज़ी के बिना कोई भी आपके मन की शांति को भंग नहीं कर सकता।
इसलिए अपने मन को नियंत्रित रखें - पक्का रखें - और दृढ रहें।
ध्यान और सुमिरन के लिए समय निकालें -
जो मिला है उसके लिए हर समय निरंकार प्रभु का धन्यवाद करते रहें।
और साथ ही - अपने मित्रों एवं सहयोगियों का धन्यवाद करना भी न भूलें
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुख भागभवेत।
सभी प्रसन्न रहें, सभी स्वस्थ रहें,
सबका भला हो, किसी को भी कोई दुख ना रहे।
" राजन सचदेव "
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