Tuesday, July 5, 2022

आछे दिन पाछे गए - तब हरि स्यों कियो न हेत

आमतौर पर जब तक हमारा सामना किन्हीं प्रतिकूल परिस्तिथियों और मुश्किल हालात से नहीं होता - 
तब तक हमें अपने सुख और समृद्धि की क़ीमत का एहसास भी नहीं होता। 
यदि किसी कारण से वह सुख और समृद्धि हमसे छिन जाए - 
जब हमें किन्हीं मुश्किल हालात में से गुज़रना पड़े -
तब उस पहले के सुख और समृद्धि की याद आती है और उस के मूल्य का पता चलता है। 
दूसरे शब्दों में -  -
जो हमारे पास है - हम तब तक उसकी क़दर नहीं करते जब तक वो खो नहीं जाता। 

अक़्सर हम संबंधों - रिश्तों और दोस्ती को भी अधिक महत्व नहीं देते 
और जब वह खो जाते है - जब रिश्ते टूट जाते हैं तो पश्चाताप होता है। 
जब अच्छे लोग हमसे दूर हो जाते हैं - या संसार से विदा हो जाते हैं 
तो हम सोचते हैं कि  काश - हमने उन के साथ कुछ और समय बिताया होता।
काश - हमने उनकी कुछ सेवा की होती। 

लेकिन तब तक तो देर हो चुकी होती है। 
समय हाथ से फ़िसल चुका होता है। 
फिर पछताने से कुछ नहीं होता। 

इसलिए जो हमारे साथ हैं - अभी हमारे पास हैं - उन की क़दर करें। 
अपने सभी सगे संबंधियों मित्रों और जानने वालों को प्रेम एवं यथोचित आदर सत्कार - मान-सम्मान दें। 

समय की कीमत भी तभी तक है जब तक वह हमारे हाथ में है। 
जब समय निकल जाए तो पछताने से कुछ भी हाथ नहीं आता। 
इसलिए समय रहते ही प्रभु से प्रेम कर लें - इस का ध्यान और सुमिरन कर लें।  
कबीर जी महाराज फरमाते हैं  -
         "आछे दिन पाछे गए - तब हरि स्यों कियो न हेत 
        अब पछताए होत क्या जब चिड़ियाँ चुग गईं खेत "
                               " राजन सचदेव "

5 comments:

  1. हमें प्रत्येक रिश्तों को सम्मान देना चाहिए🌺🙏

    ReplyDelete
  2. The fact is that the impotance of relatios must b understood always before we loose them .

    ReplyDelete
  3. Very true🙏🏻🙏🏻🤲🤲🤲

    ReplyDelete
  4. Thank you sharing. Wisdom is in realizing this fact and act in timely manner. 🙏🙏

    ReplyDelete

Discussion vs Argument चर्चा बनाम बहस

Discussion - is an exchange of    Thoughts & Knowledge            Promote it. Argument - is an exchange of   Ego & Ignorance        ...