Monday, December 20, 2021

Position of the High-minded people विचारशील मनुष्यों की स्थिति

कुसुमस्तवकस्येव द्वयी वृत्तिर्मनस्विनः
मूर्ध्नि वा सर्वलोकस्य शीर्यते वन एव वा

                          (भर्तृहरि नीति शतक)

kusumastavakasyeva dvayee vrittirmanasvinah 
Murdhni va sarvalokasya sheeryatay - van ev va

भावार्थ:
फूलों की तरह ही विचारशील मनुष्यों की स्थिति भी दो प्रकार की होती है 
या तो वे सर्वसाधारण के गले का हार - 
अर्थात उनके प्रतिनिधि या शिरोमणि बनते हैं 
या फिर वन में ही (एकांत में ही) जीवन व्यतीत कर देते हैं।

English Translation:

Just like the flowers, the position of the high-minded is also twofold.
Either to be on the head of the people - like a garland
or wither away in a forest - in isolation.
                              (From Bhratrihari Neeti Shatakam)

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