भारत के प्राचीन वैदिक ग्रंथों में एक सुंदर उद्धरण पढ़ने को मिला -
"जहां दया की बात हो - तो फूलों से भी कोमल ;
जहां सिद्धांत दांव पर हों - वहां वज्र से भी अधिक शक्तिशाली।"
अर्थात जहां दया की ज़रुरत हो वहां फूलों से भी कोमल - संवेदनशील और सहानुभूतिपूर्ण बनो।
लेकिन जहां सिद्धांत दांव पर हों - वहां वज्र की तरह मजबूत हो कर अपने सिद्धांतों पर क़ायम रहो।
किसी को खुश करने के लिए - कुछ लाभ प्राप्त करने के लिए -
कोई फ़ायदा उठाने के लिए -
कोई रैंक या पोजीशन हासिल करने के लिए -
या केवल मान्यता और लोकप्रियता के लिए -
कभी भी - किसी भी कीमत पर अपने सिद्धांतों के साथ समझौता न करें।
जब लोग आपको अपने लिए फायदेमंद पाएंगे तो वो आपको अपने कंधों पर उठा लेंगे।
जब तक उन्हें आप से फायदा मिलता रहेगा वो आपको सम्मान देंगे - अपने कंधों पर उठा कर रखेंगे।
लेकिन कभी भी - अगर उन्हें लगेगा कि अब आप उनके लिए उपयोगी नहीं हैं तो वे आपको एक सेकंड में छोड़ देंगे।
इसलिए जागरुकता और होश के साथ जीवन जीओ -
किसी को खुश करने की कोशिश करने से ज्यादा ज़रुरी है - सिद्धांतों का पालन - ईमानदारी और सत्यनिष्ठा।
" राजन सचदेव "
Very true ji
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