Wednesday, May 3, 2023

अनुभव पथ पर चलने से ही मिलता है

किसी भी चीज को समझने या कोई भी कार्य करने के लिए सही ज्ञान की आवश्यकता होती है।
लेकिन उसे महसूस करने और जीवन का अंग बनाने के लिए अनुभव की आवश्यकता होती है।
और अनुभव काम करने से आता है 
- सिर्फ़ पढ़ने या सुनने से नहीं। 
पथ की जानकारी से नहीं बल्कि पथ पर चलने से ही उसका अनुभव मिलता है।
इसलिए चलना - और चलते रहना ज़रुरी है।  

लेकिन यह भी याद रहे कि जाना कहाँ है - किस रास्ते से - किस ओर - किस दिशा की तरफ चलना है।
मंज़िल तक पहुँचने के लिए रास्ते और दिशा का सही ज्ञान होना भी आवश्यक है।
ग़लत रास्ते पर चलने से मंज़िल नहीं मिलती - बल्कि हम मंज़िल से दूर निकल जाते हैं ।
यदि आध्यात्मिकता एवं आत्मिक शांति हमारा लक्ष्य है तो हमारी सोच भी आत्मिक स्तर पर होनी चाहिए 
- न कि शारीरक और सांसारिक स्तर पर। 
शरीरों से ऊपर उठ कर ही हम आध्यात्मिकता के आकाश को छू पाएंगे - अन्यथा नहीं। 
                                          ' राजन सचदेव '

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कामना रुपी अतृप्त अग्नि

                  आवृतं ज्ञानमेतेन ज्ञानिनो नित्यवैरिणा |                   कामरुपेण कौन्तेय दुष्पूरेणानलेन च ||                            ...