Monday, May 22, 2023

करामात

लूटा हुआ माल बरामद करने के लिए पुलिस ने छापे मारने शुरु कर दिए।
लोग डरके मारे लूटा हुआ माल रात के अंधेरे में बाहर फेंकने लगे- ताकि क़ानूनी गिरिफ़्त से बचे रहें।
एक आदमी को बहुत दिक़्क़त पेश आई। 
उसके पास शक्कर की दो बोरियां थीं जो उसने पंसारी की दुकान से लूटी थीं।
एक तो वो जैसे तैसे रात के अंधेरे में पास वाले कुएं में फेंक आया 
लेकिन जब दूसरी उठा कर डालने लगा तो ख़ुद भी कुएं में गिर गया।
शोर सुन कर लोग इकट्ठे हो गए। 
कुवें में रस्सियां डाली गईं। 
दो जवान नीचे उतरे और उस आदमी को बाहर निकाल लिया...
लेकिन चंद घंटों के बाद वो मर गया।

दूसरे दिन जब लोगों ने इस्तिमाल के लिए उस कुँवें में से पानी निकाला - तो वो मीठा था।
उसी रात उस आदमी की क़ब्र पर दिये जल रहे थे।
(घर घर में इस करामात का चर्चा था - 
कि गाँव के लोगों को मीठा पानी मुहैय्या करवाने के लिए उस शख्स ने अपने प्राणों की आहुति - अपनी शहादत, अपनी क़ुरबानी दे दी) 
                                            (मूल कहानी उर्दू में - लेखक - सआदत हसन मंटो)

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Na tha kuchh to Khuda tha - (When there was nothing)

Na tha kuchh to Khuda tha kuchh na hota to Khuda hota Duboya mujh ko honay nay na hota main to kya hota                      " Mirza G...