न मर्षयन्ति चात्मानं संभावयितुमात्मना |
अदर्शयित्वा शूरास्तू कर्म कुर्वन्ति दुष्करम् ||
(सुभाषितम)
संभ्रांत, कुलीन, ज्ञानी, एवं विद्वान सज्जन अपने मुँह से अपनी प्रशंसा करना पसंद नहीं करते और न ही अपने मुँह पर की गई प्रशंसा एवं चापलूसी सुनना पसंद करते हैं।
शूरवीर अपने पराक्रम का प्रदर्शन शब्दों से नहीं करते - वह मुश्किल और कठिन कार्यों को करके दिखाते हैं - चुनौतीपूर्ण और असाध्य कार्य करके अपने शौर्य और कला का परिचय देते हैं।
वे महज बातें नहीं करते बल्कि वास्तव में ज़रुरतमंद लोगों की मदद करने का प्रयत्न करते हैं - और बदले में किसी भी प्रकार की कोई उम्मीद और अपेक्षा नहीं रखते - यहां तक कि प्रशंसा की अपेक्षा भी नहीं करते।
" राजन सचदेव "
Bahut hee uttam bachan ji. 🙏
ReplyDeletePerfect way to live life !
ReplyDeleteनेकी कर और कुआं में डाल !