Saturday, May 6, 2023

जीता मम्मा - श्रीमती रंजीत पुरी जी

 प्रोफेसर पूरी साहिब की धर्मपत्नी श्रीमती रंजीत पुरी जी 1 मई को - 93 वर्ष की आयु में इस नश्वर संसार से विदा हो गईं।
उनका सादा स्वभाव और मातृ स्नेह से भरा व्यवहार सब के दिल को छू लेता था इस लिए सब लोग उन्हें प्यार से जीता मम्मा कह कर पुकारते थे।  
जिन्हें भी उन्हें मिलने और उनके साथ कुछ समय बिताने का अवसर मिला है वह जानते हैं कि वह वास्तव में कितनी महान आत्मा थी।

उन्होंने 1948 में प्रोफेसर पुरी जी के साथ शहंशाह बाबा अवतार सिंह जी से ब्रह्म ज्ञान प्राप्त किया - और जीवन भर अपने पति के साथ कंधे से कंधा मिलाकर मिशन के प्रचर में योगदान दिया  - पहले दिल्ली में और फिर अमेरिका में।
(1974 में मिशन के प्रचार-प्रसार के लिए - बाबा गुरबचन सिंह जी ने पुरी साहब को उनकी पत्नी और परिवार सहित यू.एस.ए. भेज दिया था )

एक कहावत है कि हर सफल आदमी के पीछे एक स्त्री का हाथ होता है।
और जीता मम्मा इस रोल में बिल्कुल फिट बैठती हैं।
एक ऐसे समाज में जो अक्सर अपनी व्यक्तिगत सफलता को सबसे अधिक महत्व देता है, जीता मम्मा ने अपने पति और उनके काम में सहयोग देना अधिक मूल्यवान समझा।
ऐसा लगता था कि जीवन में उनका मिशन केवल अपने पति और उनके मिशनरी कार्यों का समर्थन करना ही था।
लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उन्होंने अपने पति का समर्थन मजबूरी समझ कर नहीं - बल्कि पूरे दिल से  किया।
शायद प्रो. पुरी साहब के लिए अपनी पत्नी और परिवार के पूर्ण समर्थन के बिना इतनी सफलता प्राप्त करना सम्भव न होता।
इसलिए, अमेरिका और कनाडा में मिशन की प्रगति में  उनकी पत्नी की प्रत्यक्ष और परोक्ष - पर्दे के पीछे की भूमिका के प्रभाव को  नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।

अक़्सर बहुत से लोकल और बाहर के महांपुरुष भवन पर आते रहते थे - और उन्होंने हमेशा सभी का खुले दिल से स्वागत किया और प्यार से उनकी सेवा की  - बिना किसी दिखावे के - जो कुछ भी उस समय घर में उपलब्ध होता था वही सादगी के साथ पेश कर देते थे। 
आज भी शिकागो के लोग उनके प्रेम और आतिथ्य सत्कार को याद करके अक़सर  उनकी प्रशंसा करते रहते हैं। 
जो भी  कोई उनसे मिला, उसकी गर्मजोशी और आतिथ्य सेवा से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सका। 
इससे पता चलता है कि प्रेम और आतिथ्य के छोटे-छोटे काम भी दूसरों पर गहरा प्रभाव डाल सकते हैं। किसी को प्रसन्न करने के लिए बहुत दिखावे की ज़रुरत नहीं होती। 

मिशन में उनके योगदान  - प्रेम और सेवा भाव  के लिए उन्हें हमेशा प्यार से याद किया जाएगा - उनकी प्यारी यादें हमेशा दिलों में बनी रहेंगी - 
भले ही वह अब शारीरिक रुप  से हमारे साथ नहीं हैं - 
लेकिन वह हम सब के लिए एक विरासत छोड़ गई हैं कि केवल पैसा और सांसारिक चीजें ही उपहार नहीं होतीं -
बल्कि सबसे बड़ा उपहार जो हम किसी को दे सकते हैं  - वह है सादगी, और निश्छल प्रेम। 
ऐसी महान आत्माओं से हम बहुत कुछ सीख सकते हैं - और अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास कर सकते हैं।
                                    " राजन सचदेव "

5 comments:

  1. धननिरंकार भाईसाहब जी कोबिड में जब आनलाइन संगत हो रही थी तो दासी को उन के दर्शन करने का मौक़ा मिला जैसे ही मैसेज में उन की फ़ोटो आई तो पहचान लिया की मैंने दर्शन किए हैं महान आत्मा के अरदास है कि हमारे जीवन ऐसे गुणों से भरपूर हो

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  2. Jita mamma lead a very simplistic life,
    not a bit caring for applause but just sincerely working towards
    her passion- selfless seva and Gurumat.She was love personified.
    She has completed her life’s journey
    with flying colors leaving a legacy for us to follow.
    Humbly
    Vinod Bhala

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  3. Love you Maa ❤️🙏

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