Wednesday, January 11, 2023

चाहत मिलने की ऐ दिलबर

चाहत मिलने की ऐ दिलबर तुझको भी है मुझको भी 
बंधन  दुनियादारी  का  पर  तुझको भी है मुझको भी 
  
सपनों का ये महल नहीं है - जीवन इतना सहल नहीं  
फ़िक्र-ए-फ़र्दा दिल में आख़िर तुझको भी है मुझको भी    

दिल में हसरत-शान-ओ-शौक़त, शोहरत ,ऐशो-इशरत की
बंगला गाड़ी, अच्छा सा घर  - तुझको भी है मुझको भी  

धन दौलत पद और हकूमत, फ़र्द-ज़मीन-ओ-ज़ेवर ज़र
ज्ञान कि ये सब कुछ है नश्वर  - तुझको भी है मुझको भी

माया ठगिनी कदम कदम पर सब का मन हर लेती है 
मोह माया काअंकुश मन पर तुझको भी है मुझको भी  

क्या खोया है, क्या पाया है - क्या है ठीक, ग़लत है क्या  
दुविधा मन में रहती अक़्सर तुझको भी है मुझको भी     

जीवन में सुख दुःख का अनुभव तुझको भी है मुझको भी
चुभता हिज्र-ओ-ग़म का नश्तर तुझको भी है मुझको भी

मैं ही रब हूँ - मैं ही सब हूँ - कहना है  'राजन ' आसाँ 
लेकिन दिल में मरने का डर - तुझको भी है मुझको भी
                             " राजन सचदेव "

फ़िक्र-ए-फ़र्दा       =  भविष्य की चिंता - कल का फ़िक़्र 
फ़र्द  =  आदमी (काम करने वाले आदमी, कर्मचारी, मैम्बर, पैरोकार इत्यादि) 
ज़र   =   सोना-चांदी इत्यादि 
नश्वर   =   नाशवान 
हिज्र       = वियोग, विरह, बिरहा
नश्तर   =  छुरी, चाकू, तीखा काँटा 

3 comments:

  1. 🙏🏻👍👌🏻very nice

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  2. Kya baat hai AWESOME

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  3. वाह - कमाल की रचना है - बहुत गहरे ख्याल - गागर में सागर भर दिया है

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Khamosh rehnay ka hunar - Art of being Silent

Na jaanay dil mein kyon sabar-o-shukar ab tak nahin aaya Mujhay khamosh rehnay ka hunar ab tak nahin aaya Sunay bhee hain, sunaaye bhee hain...