आज संत अमर सिंह जी (पटियाला) की 44वीं पुण्यतिथि है - जिन्हें हम सभी प्यार और श्रद्धा से पिता जी कहते थे।
ये मेरा सौभाग्य है कि मुझे युवावस्था में कुछ साल उनके चरणों में रहने और उनसे मार्गदर्शन प्राप्त करने का समय मिला।
भापा राम चंद जी और पिता अमर सिंह जी के महान व्यक्तित्व का प्रभाव हमेशा मेरे मन और जीवन में रहा है।
ये दो ऐसी महान हस्तियां थीं जिन्होंने मेरे जीवन को दिशा प्रदान की - मेरी विचारधारा - मेरी सोच विचार की प्रक्रिया को आकार दिया।
अक्सर अन्य साथी भक्तों - महपुरुषों के साथ बात करते हुए हम उनकी सादगी और ईमानदारी के बारे में बात किया करते थे - कि किस तरह वह हमेशा दूसरों के बारे में सोचते थे - अपनी सुख-सुविधाओं से पहले अन्य लोगों की सुविधा का ध्यान रखते थे।
एक ऐसी ही घटना का ज़िक्र कर रहा हूं जो उनके विचारों का प्रतिबिम्ब है - जो उनकी सोच को दर्शाता है - कि किस तरह वह स्वयं से पहले हमेशा दूसरों का ख्याल रखते थे।
एक दिन पिता जी को मिशन के किसी काम से एक ऑफिस में जाना था।
उनके बड़े बेटे हरवंत सिंह - जो उनके साथ थे - कहने लगे: पिता जी! ऑफिस थोड़ी दूर है। मैं रिक्शा मंगवा लेता हूँ
पिता जी ने कहा - नहीं - हम पैदल चलेंगे"।
हरवंत सिंह ने तर्क दिया: रिक्शे पर जाना आपके लिए ठीक रहेगा - ज़्यादा सुविधाजनक होगा - अगर आप इतनी दूर चलोगे तो बहुत थक जाओगे।
मुझे पता है कि आप नमस्कार के पैसे खर्च करने में संकोच करते हैं - लेकिन इसमें ज्यादा खर्च नहीं होगा - केवल एक रुपया ही लगेगा।"
संयोग से - उसी समय पिता जी ने सड़क के किनारे एक हलवाई को समोसा बनाते हुए देखा। वे बोले, "बेटा! देखो - वह आदमी ताजे समोसे बना रहा है।
इन ताज़ा, स्वादिष्ट समोसों की खुशबु से किस के मुँह में पानी नहीं आएगा?
किस की इच्छा नहीं होगी इन्हें खाने की?
लेकिन एक गरीब भक्त गुरसिख अपनी इच्छा को मार कर - समोसा खाने की बजाय वो एक रुपया संगत में नमस्कार करने के लिए बचा कर रख लेता है।
अब क्या मेरे लिए उस रुपये को अपने थोड़े से सुख के लिए खर्च करना उचित होगा?
नहीं... मेरा दिल कांपता है। - मेरी ज़मीर मुझे ऐसा करने की इज़ाज़त नहीं देती...
इसलिए बेटा - जब तक मैं चल सकता हूँ - चलूँगा।"
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यह तो सिर्फ एक घटना थी - ऐसी कई घटनाएं थीं जो हमारे लिए जीवंत उदाहरण थे -
उन्होंने हमेशा अपने व्यावहारिक कर्म से - व्यक्तिगत रुप से मिशन की विचारधारा को स्वयं जीकर उदाहरण पेश किया।
ऐसी महान आत्मा को शत शत नमन।
काश - हम भी उनके पदचिन्हों पर चल पाएं।
बिना किसी आडंबर और दिखावे के - दूसरों का ख्याल रखते हुए सादगी एवं ईमानदारी से जीवन जीने का प्रयत्न करें ।
" राजन सचदेव "
Aise mahaan santo ki bhakti, Guru ke prati shradha aur vishwaas ko shat shat naman!
ReplyDeleteSher-e-Panjab ko naman ji. Dng
Yes he WAS a great Karamyogi Mahan Atma.
ReplyDeleteDhan nirankar jee thank you bhai saib you have remind us for holy amar singh jee i have met him in jammu
ReplyDeleteKoti Koti Naman 🌹🙏
ReplyDeleteParnaam hai Santa nu❤️
ReplyDeleteShat Shat Naman hai 🙏🏻Mahatma ji ko
ReplyDeleteDhan Nirankar ji! Thank you so much for sharing mahatma ji. Koti koti naman aise mahan santo ko 🙏🏻🙏🏻🙏🏻
ReplyDeleteHe was a great saint ..truly dedicated to satguru and nirankar..his life is inspiration for all of us
ReplyDeleteThanks for sharing your experiences and learnings from great saints
ReplyDeleteShat shat parnam on santo ko
ReplyDeleteDhan nirankar ji!Thanks a lot for sharing Ji🙏🏻🙏🏻
ReplyDeleteShat shat naman hai asey Mahan sainto ko 💐🙏
ReplyDeleteप्रणाम है ऐसे महान संतो को आप जैसे इनके भगतो को भी 🙏🙏🙏🙏🙏
ReplyDeleteJasvinder
He is a torch bearer for all of us.Complete surrender in the Lotus feet of Satguru are signs of true devotee
ReplyDeleteEr RK Verma Patial
ReplyDeleteReally puran Samrpit jiwan tha. Late Anthak ji ko Chamkane vale bhi Pitaa ji hi they. Aur Anthak ji bhi 16 jan (1993) ko hi brahmleen hue they
ReplyDeleteThank you for reminding about Anthak ji -- I also had a great association with him while I was in Patiala. I remember when he used to work at Pita ji's shop of stamp-making.
Deleteनिःसंदेह उन्हें ऊपर उठाने में पिता जी का ही हाथ था।
न केवल अनथक जी - बल्कि पागल-सेवक जी (अमर -सेवक जी), भा: सा: सज्जन सिंह जी, भा: सा: सन्मुख सिंह जी और पूज्य वी. डी. नागपाल जी को भी ऊपर उठाने और चमकाने में उन्हीं का हाथ था और मेरे जीवन में भी उनका बहुत महत्वपूर्ण रोल रहा है। उन्होंने पर्सनली - व्यक्तिगत रुप में कदम कदम पर हम सब को समझाया - दिशा-निर्देश दिए और भक्ति मार्ग पर चलने का सही रास्ता दिखाया।
उनका उपकार कभी भुलाया नहीं जा सकता।
आपके कॉमेंट के लिए धन्यवाद