कहा जाता है कि हर चमकने वाली चीज सोना नहीं होती।
लेकिन यह भी सच है कि सोने की बनी हुई हरेक वस्तु चमकीली या चमकदार नहीं होती।
कच्चा सोना तब तक नहीं चमकता जब तक कि उसे समुचित ढंग से पॉलिश न किया जाए।
और ये भी ज़रुरी नहीं कि इधर-उधर घूमता हुआ हर व्यक्ति खोया हुआ - अथवा अपने मार्ग से भूला और भटका हुआ ही हो।
हम आमतौर पर दूसरों पर निर्णय पारित करने में बहुत तेज होते हैं।
हम हर किसी के बारे में अपनी एक राय बना लेते हैं और फिर हमेशा उसी नज़रिये से उन्हें देखते हैं।
हमें लगता है कि जो प्रसिद्ध हैं - जो हमेशा लोगों की भीड़ से घिरे रहते हैं - वे अपने क्षेत्र में सिद्ध और बहुत महान होंगे - चाहे वह कला हो, संगीत हो, दर्शन अर्थात फिलॉसफी हो या राजनीति।
लेकिन यह हमेशा सच नहीं होता।
मैंने शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में अक्सर देखा है कि बहुत से कलाकार ऐसे हैं - जो बहुत अच्छे नहीं हैं, लेकिन फिर भी उनको सुनने के लिए भीड़ इकट्ठी हो जाती है - हॉल भर जाते हैं और वो ढेर सारा पैसा भी कमा लेते हैं।
दूसरी ओर, कई बेहद कुशल और महान कलाकार हैं - जिनको न तो प्रसिद्धि मिलती है - न बहुत पैसा और न ही कोई अवॉर्ड्स।
बल्कि बहुत से कलाकार तो ऐसे हैं जिनके बारे में कोई जानता भी नहीं है।
और यह बात जीवन के हर क्षेत्र में सच है। सामाजिक, आध्यात्मिक और राजनीतिक क्षेत्रों में भी कुछ ऐसा ही दिखाई देता है।
हमें लगता है कि जिनके अनुयायी बड़ी संख्या में हैं - जो अपनी राजनीतिक रैलियों या आध्यात्मिक संगोष्ठियों में लाखों लोगों को आकर्षित कर सकते हैं - जो हमेशा अपने अनुयायिओं और पैरोकारों की भीड़ में घिरे रहते हैं - वो ज़रुर ही अच्छे और सच्चे लीडर होंगे। वो सच में ही वास्तविक और महान राजनीतिक नेता अथवा आध्यात्मिक मार्गदर्शक होंगे।
लेकिन यह बात हमेशा सच नहीं होती।
बल्कि सच तो ये है कि जो लोग वास्तव में ही महान होते हैं, उन्हें अपने नाम या प्रसिद्धि की परवाह नहीं होती।
जो अंदर से मजबूत होते हैं - जो अपने अन्तःकरण और अपने काम के प्रति सच्चे होते हैं - वे घबराते नहीं हैं।
वे अपने पथ से विचलित नहीं होते - वो डगमगाते नहीं हैं।
उनके ज्ञान और विश्वास की जड़ें इतनी गहरी होती हैं कि किसी बाहरी दबाव से हिलाई नहीं जा सकतीं।
अनेक बाधाओं के बावजूद, वे अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए बिना किसी हिचकिचाहट के अपनी यात्रा जारी रखते हैं।
वे जानते हैं कि बुझी हुई राख से भी आग की लपटें उठ सकती हैं।
वे जानते हैं कि घोर अंधेरी रात में भी कहीं से प्रकाश की किरण फूट सकती है।
इसलिए वो कभी भी निराश होकर हार नहीं मानते।
जैसे कहा जाता है कि सुरंग के अंत में हमेशा प्रकाश होता है।
इसलिए हमें अपने आदर्शों और सिद्धांतों पर हमेशा कायम रहना चाहिए
और अपने इच्छित लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए निरंतर प्रयास करते रहना चाहिए।
" राजन सचदेव "
𝓝𝓲𝓬𝓮 𝔀𝓸𝓻𝓭𝓼💐
ReplyDeleteBahut Kubh ji
ReplyDeleteVery nice and true thanks for sharing valuable thoughts
ReplyDeleteThanks for nice thoughts
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