Monday, October 9, 2023

हम वही देखते हैं जो देखना चाहते हैं

संसार में सब कुछ वैसा ही दिखाई देता है जैसा हम देखना चाहते हैं। 
चाहे कोई व्यक्ति हो या घटना - 
हर चीज़ हमें वैसी ही दिखाई देती है जैसी हम देखना चाहते हैं। 

कोई व्यक्ति अच्छा है या बुरा - 
कोई काम सरल है या जटिल - आसान है या कठिन  - 
कोई घटना शुभ है या अशुभ - 
ये सब हमारी अपनी दृष्टि और सोच पर निर्भर होता है कि हम उन्हें कैसे और किसी दृष्टिकोण से देखते हैं।

और हम उन्हें कैसे देखते हैं -- 
यह हमारी उस समय की सोच एवं मनोवृति पर निर्भर करता है।

5 comments:

न समझे थे न समझेंगे Na samjhay thay Na samjhengay (Neither understood - Never will)

न समझे थे कभी जो - और कभी न समझेंगे  उनको बार बार समझाने से क्या फ़ायदा  समंदर तो खारा है - और खारा ही रहेगा  उसमें शक्कर मिलाने से क्या फ़ायद...