Friday, July 14, 2023

मतभेद बेशक हो - पर मनभेद नहीं

अक्सर ऐसा होता है कि जब हम हृदय से किसी का समर्थन करने लगते हैं - 
एक बार अपने मन में उन्हें अच्छा मान लेते हैं 
तो उन की हर अच्छी या बुरी - ठीक या ग़लत  बात का समर्थन करने लगते हैं। 

और अगर हम किसी के लिए कोई ग़लत राय बना लेते हैं 
जिनके लिए हमारे मन में किसी कारण से ग़लत धारणा बन जाती है  
तो हम बिना सोचे विचारे ही उनकी हर बात और हर काम का विरोध करने लग जाते हैं। 

वास्तव में समर्थन या विरोध तो केवल विचारों का होना चाहिये 
किसी विशेष व्यक्ति या किसी विशेष समाज का नहीं 

विचारों में मतभेद हो सकता है -
मत-भेद होने में कोई बुराई नहीं  - 
लेकिन मन-भेद नहीं होना चाहिए। 
मन में किसी के लिए ग़लत धारणा क़ायम कर के हमेशा उनकी निंदा करते रहना  -
और उनके हर काम का विरोध करते रहना ठीक नहीं।  
पूर्ण रुप से किसी का समर्थन या विरोध करने से पहले वर्तमान स्थिति - मौजूदा हालात का हर तरह से  गहन और निष्पक्ष विश्लेषण करने का प्रयास करना चाहिए।
                                   " राजन सचदेव "

5 comments:

  1. यकीनन मत भेद वाजिब है साहिब
    मन भेद ना रखा कर दिल दे कोने बिच
    यह दिल अल्लाह का घर है
    इसे हमेशा साफ़ रखा कर मेरे साहिब

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  2. Very nice advice ji🙏🙏🌹🌹

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