Wednesday, February 22, 2023

जितनी अधिक आसक्ति - उतना ही अधिक दुःख

जितनी अधिक आकांक्षा उतना ही अधिक लोभ 
जितनी अधिक अपेक्षा - उतना ही अधिक क्षोभ

जितनी अधिक आसक्ति - उतना ही अधिक दुःख 
जितनी अधिक संतुष्टि - उतना ही अधिक सुख 

जितनी अधिक प्रसिद्धि  - उतना ही अधिक अहम 
जितनी रुढ़िवादिता  - उतना ही अधिक वहम 

जितनी अधिक अस्थिरता उतना ही अधिक क्रोध
जितनी अधिक नीरवता  - उतना ही आत्म-बोध 

जितनी अधिक लालसा - उतनी ही आकुलता 
जितना अधिक संग्रह  -  उतनी ही व्याकुलता 

जितनी अधिक समीक्षा - उतनी ही अधिक भ्रान्ति 
जितना अधिक मौन  - उतनी ही अधिक शान्ति 
                  " राजन सचदेव 

4 comments:

Itnay Betaab kyon hain - Why so much restlessness?

 Itnay betaab - itnay beqaraar kyon hain  Log z aroorat say zyaada hoshyaar  kyon hain  Moonh pay to sabhi dost hain lekin Peeth peechhay d...