Saturday, June 28, 2014

Humility and Divinity


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आईना ये मुझसे रोज़ कहता है

आईना ये मुझसे रोज़ कहता है अक़्स तेरा क्यों बदलता रहता है उम्र है कि रोज़ ढ़लती जाती है रोज़ ही चेहरा बदलता रहता है इक मुकाम पे कहाँ ये रुकता ह...