यह सोचने में समय बर्बाद न करें कि आप क्या कर सकते थे -
या किस काम को कैसे - और किस ढंग से करना चाहिए था।
अब भविष्य पर नज़र रखें
और हमेशा हर काम सोच-समझ कर सही ढंग से करने की कोशिश करें।
सर्वशक्तिमान निरंकार प्रभु को समर्पित तुम से है ब्रह्माण्ड तुम जगत का मूल रुप हो रुप सब तुम्हारे हैं और स्वयं तुम अरुप हो अनादि हो अ...
Right sir!
ReplyDeleteVery well said Veer Ji
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