यह सोचने में समय बर्बाद न करें कि आप क्या कर सकते थे -
या किस काम को कैसे - और किस ढंग से करना चाहिए था।
अब भविष्य पर नज़र रखें
और हमेशा हर काम सोच-समझ कर सही ढंग से करने की कोशिश करें।
ये जाते हुए पुराने साल की नसीहत भी तुम हो और आने वाले हर इक साल की ज़रुरत भी तुम हो (तुम = निरंकार ईश्वर) कि जो तौफ़ीक़ रखते हैं बना लें...
Right sir!
ReplyDeleteVery well said Veer Ji
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