और कभी-कभी तो हमारे वाहन - कार और स्कूटर इत्यादि हमें ऐसे संकेत भी देने लगते हैं कि उन्हें मरम्मत की आवश्यकता है।
एक बार मैं संत अमर सिंह के साथ निरंकारी कोठी, दिल्ली में बाबा गुरबचन सिंह के दर्शन के लिए गया। बहन जगजीत जी - जो उस समय बहुत छोटे थे - उनके पास आए और बोले- हां जी - गड्डी वर्कशॉप च आ गई है?
और हमेशा की तरह पिता जी ने उत्तर दिया - हां जी - गड्डी वर्कशॉप च औंदी रवे तां ठीक रहंदी है।
और ये बात हमारे शरीर और मन पर भी लागू होती है -
शरीर और मन - जो कि आत्मा के वाहन हैं।
इन्हें भी रख रखाव के लिए अक़्सर वर्कशॉप में ले जाने की ज़रुरत पड़ती है।
समय-समय पर, हमारे शरीर कुछ संकेत भी भेजते रहते हैं जिन पर तत्काल ध्यान देने की ज़रुरत होती है ।
ऐसे ही कुछ संकेत मुझे कुछ दिन पहले अपने दोनों प्रकार के वाहनों से मिले।
पहले, मेरी कार से -
और मैं उसे वर्कशॉप में ले गया।
निरीक्षण और कुछ adjustments के बाद, उन्होंने मुझे मिशिगन की लंबी यात्रा के लिए ड्राइव करने के लिए हरी चिट दे दी।
फिर, अभी कुछ दिन पहले, मुझे अपने दूसरे वाहन - शरीर से भी चेतावनी के कुछ संकेत मिले।
और मुझे आधी रात को ER में ले जाया गया।
कई तरह की जांच और प्रक्रियाएं - - Tests & Procedures करने के बाद उन्होंने भी मुझे हरी झंडी दे दी और अगले दिन मुझे घर भेज दिया।
लेकिन इस घटना ने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया -
क्या होता अगर यह सिर्फ एक warning ही न हो कर असल में एक वास्तविक कॉल होती?
एक वास्तविक बुलावा होता ?
तो क्या मैं अपनी अगली यात्रा के लिए तैयार था?
क्या मैं अभी तैयार हूँ?
या मुझे तैयार होने में समय चाहिए?
क्या समय या काल का कोई भरोसा - कोई गारंटी है ?
' राजन सचदेव '
ITS TRUE THAT WE GET ALARMS AND WARNINGS BUT HOW FAR DO WE UNDERSTAND OR UNDERESTIMATE THESE SIGNALS IS A ? . THANKS FOR MAKING US UNDERSTAND THE TRUTH BEHIND THROUG THIS WOUNDERFUL EXPLANATION
ReplyDeleteबिलकुल सत्य कि हमें वर्तमान में चल रही तीव्र जीवनशैली में अपने शरीर और मन की तरफ ध्यान देना चाहिए।🌸🌺🌸🌺🙏
ReplyDeleteSimple example higher thinking
ReplyDeleteMay you stay healthy. Thanks Hazur. Love you.
ReplyDeleteTrue but it is only care by Saint gurumukh like you and who guide us time to time.
ReplyDelete/Satyavan