Wednesday, November 24, 2021

Jo jaagay so paavay जो जागे सो पावे

रात के पिछले हिस्से में इक दौलत बंटती रहती है
जो जागे  सो  पावे है - जो सोवे है वो खोवे है

Raat kay pichhlay hissy me ik daulat bantati rehti hai 
Jo jaagay so paavay hai - jo sovay hai vo khovay hai 

رات کی پچھلے حصّے میں ایک دولت بٹتی رہتی ہے
جو جاگےسر پاوےہے-  جو سودے ہے ده کھوے ہے
     
                                   (Courtesy of Sachin Minhas ji)

In the last part of the night, a radiant gratifying wealth is transmitted 
Those, who are awake, receive it - 
deprived are those - who stay asleep. 

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