Friday, November 5, 2021

अब के दिवाली हम ऐसे मनाएं

अब के दिवाली हम ऐसे मनाएं
ज्ञान के दीपक मन में जलाएं

ज्ञान की ज्योति मन में जला कर
अज्ञानता का अंधेरा मिटायें

अपने घरों को रौशन करें  -पर
औरों के घर के दिए न बुझाएं

दीपक जलाएं नए चाहे लेकिन
जो बुझ रहे हैं  उन्हें भी बचायें

अब के दीवाली पे बाहर न निकलें 
घर में ही बैठ के उत्सव मनाएं

घर को सजाना भी ठीक है लेकिन
दिव्य गुणों से  जीवन सजायें

तोहफे अमीरों को देने के बदले 
ग़रीबों के उजड़े घरो को  बसाएं 

मिठाई के बदले में इस बार यारो
रिश्तों - संबंधों को मीठा बनायें

अगर बाँटना ही ज़रुरी है कुछ, तो
चलो दीन दुखियों के दर्द  बंटाएं 

गिरायें नहीं - बल्कि ऊँचा  उठायें
हर छोटे  बड़े  को गले से  लगायें

लक्ष्मी की पूजा में ही मगन हो कर
देखो - नारायण को न भूल जाएं 

उज्जवल हो मन ज्ञान की रोशनी से 
'राजन ' दिवाली हम ऐसे मनाएं

अबके दिवाली  कुछ ऐसे मनाएं
ज्ञान के दीपक मन में जलाएं
                           'राजन सचदेव  '

3 comments:

  1. घर को सजाना भी ठीक है लेकिन
    दिव्य गुणों से जीवन सजायें....it's all Beautiful lines ji🌸🙏🌺

    ReplyDelete
  2. Ghar ki safai ke saath mun ki Safai bhi jaroori hai 🙏🙏

    ReplyDelete

झूठों का है दबदबा - Jhoothon ka hai dabdabaa

अंधे चश्मदीद गवाह - बहरे सुनें दलील झूठों का है दबदबा - सच्चे होत ज़लील Andhay chashmdeed gavaah - Behray sunen daleel Jhoothon ka hai dabdab...