अवाम आज भी कच्चे घरों में रहते हैं
वो मर गये हैं मगर मकबरों में रहते हैं
" हसीब सोज़ "
इंटरनेट पर यह एक सुंदर और गहरा शेर मिला जो शायर के संवेदनशील विचारों को दर्शाता है।
अक़्सर लोग किसी भी वस्तु के बाहरी - दृश्यमान सौंदर्य को देख कर ही प्रभावित और अचंभित हो जाते हैं।
दूसरी तरफ कुछ ऐसे दार्शनिक और यथार्थवादी कवि हैं - जो हर चीज़ को बाहर से - सिर्फ ऊपरी सतह से नहीं बल्कि गहराई से देखते हैं - और उनके दिल इन्साफ, समानता और निष्पक्षता के लिए रोते हैं।
साहिर लुधियानवी की तरह - यह शायर भी इस शेर में - जीवन की विडंबना पर हैरान है - दुनिया के अजीबो-ग़रीब तरीकों पर आश्चर्य कर रहा है कि :
मुर्दा बादशाह और सम्राट तो मृत्यु के बाद भी भव्य राजसी मकबरों में रहते हैं - जो कि असाधारण, भव्य महलों की तरह बनाए गए हैं।
जबकि अवाम - आम लोग दिन-रात कड़ी मेहनत करते हैं लेकिन फिर भी मिट्टी के घरों में रहते हैं - जिन्हें भरपेट भोजन और रोज़मर्रा की ज़रुरतें भी मयस्सर नहीं ।
कितने अजीब हैं इस दुनिया के तौर-तरीके ?
' राजन सचदेव '
शायर के संवेदनशील विचारों को दर्शाता है।
ReplyDeleteसुंदर और गहरा शेर ...जो शायर के संवेदनशील विचारों को दर्शाता है।
ReplyDelete🙏 Touching thoughts, expressed by poet and explained by Dr Rajan Jì.
ReplyDelete🙏 Touching thoughts, expressed by poet and explained by Dr Rajan Jì.
ReplyDelete🙏 Touching thoughts, expressed by poet and explained by Dr Rajan Jì.
ReplyDeleteBohat Khoob��
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